वनीला की खेती से किसान बन सकते हैं करोड़पति, रिसर्च में दावा

नई दिल्ली, 14 मार्च परंपरागत खेती से कम मुनाफा होने के कारण अब किसान अधिक लाभकारी फसलों की ओर रुख कर रहे हैं. एक हालिया अध्ययन में दावा किया गया है कि वनीला की खेती किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बना सकती है. रिसर्च के अनुसार, वनीला की वैश्विक मांग लगातार बढ़ रही है और इसके फलों व बीजों की ऊंची कीमतों के कारण यह किसानों के लिए एक लाभदायक विकल्प बनता जा रहा है. वहीं स्वास्थ्य की दृष्टि से भी ये लाभकारी है.

कृषि अनुसंधान संस्थान के एक शोध के मुताबिक, वनीला के पौधों को परिपक्व होने में लगभग 9 से 10 महीने का समय लगता है. इसके बाद इनके फलों से बीज निकाले जाते हैं, जिनका उपयोग खाद्य पदार्थों, सौंदर्य प्रसाधनों और सुगंधित उत्पादों में किया जाता है. भारतीय मसाला बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, दुनिया भर में बनने वाली आइसक्रीम में लगभग 40 प्रतिशत वनीला फ्लेवर का उपयोग किया जाता है, जिससे इसकी बाजार में जबरदस्त मांग बनी रहती है.

वैज्ञानिक अध्ययनों के अनुसार, वनीला के बीजों की बाजार में कीमत 40,000 से 50,000 रुपये प्रति किलोग्राम तक होती है. भारत, मैडागास्कर, पापुआ न्यू गिनी और यूगांडा जैसे देशों में इसकी खेती बड़े पैमाने पर हो रही है. विशेषज्ञों का मानना है कि यदि किसान वनीला की खेती को व्यावसायिक रूप से अपनाते हैं, तो वे करोड़ों की कमाई कर सकते हैं.

शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि वनीला के फलों और बीजों में वनैलिन नामक रासायनिक तत्व होता है, जो बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायक है. इसके अलावा, यह कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से लड़ने में भी कारगर साबित हो सकता है. रिसर्च में यह भी सामने आया है कि वनीला पाचन तंत्र को मजबूत करने, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और सर्दी-जुकाम जैसी समस्याओं से बचाव में मदद करता है.

वनीला की खेती के लिए भुरभुरी मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है. विशेषज्ञों के अनुसार, इसकी खेती के लिए मिट्टी का पीएच स्तर 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए. यह पौधा आर्किड परिवार का सदस्य है और इसकी बेलनाकार लताएं सहारे के साथ तेजी से बढ़ती हैं. यदि किसान आधुनिक तकनीकों और उचित देखभाल के साथ वनीला की खेती करें, तो वे उच्च मुनाफा कमा सकते हैं और आर्थिक रूप से मजबूत बन सकते हैं.

डीएससी/केआर