New Delhi, 18 सितंबर . Union Minister अश्विनी वैष्णव ने Thursday को प्रेस कॉन्फ्रेंस में आगामी इम्पैक्ट एआई समिट और India में प्रौद्योगिकी क्षेत्र में हो रही प्रगति पर विस्तार से चर्चा की. उन्होंने बताया कि फरवरी 2026 में India एक ऐतिहासिक अवसर का गवाह बनेगा जब इम्पैक्ट एआई समिट का आयोजन Prime Minister Narendra Modi के नेतृत्व में किया जाएगा. इससे पहले यह महत्वपूर्ण सम्मेलन ब्रिटेन, कोरिया और फ्रांस जैसे देशों में आयोजित हो चुका है. अब India इस आयोजन की मेजबानी करेगा, जिसमें दुनिया भर की Governmentों और विशेषज्ञों की भागीदारी होगी.
मंत्री ने कहा कि आज इम्पैक्ट एआई समिट का लोगो लॉन्च किया गया है और थीम को प्रस्तुत किया गया. इसका उद्देश्य स्पष्ट है मानव-केंद्रित विकास, समावेशी वृद्धि और तकनीक को वास्तव में सबके लिए सुलभ बनाना. उन्होंने बताया कि सम्मेलन का एक महत्वपूर्ण पहलू एक ऐसा गवर्नेंस फ्रेमवर्क तैयार करना होगा जो विश्व के अधिकांश हिस्सों में प्रासंगिक हो और सभी को लाभ पहुंचा सके.
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि India हमेशा ऐसी तकनीकें विकसित करता रहा है जो वैश्विक स्तर पर उपयोगी हों. यूपीआई इसका सबसे बड़ा उदाहरण है, जिसे दुनिया भर में मान्यता प्राप्त है और जिसे विकसित देशों से लेकर विकासशील राष्ट्रों तक सभी अपना सकते हैं. ठीक इसी तरह India चाहता है कि एआई भी समावेशी, सार्वभौमिक और परिवर्तनकारी बने. इसके लिए India ने एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाया है कुछ टीमें बड़े पैमाने के एआई मॉडल पर काम कर रही हैं, वहीं कई टीमें छोटे और क्षेत्र-विशेष पर केंद्रित मॉडल विकसित कर रही हैं. यह दृष्टिकोण व्यावहारिकता और समस्या-समाधान पर आधारित है.
अश्विनी वैष्णव ने कहा कि Prime Minister मोदी ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि तकनीक का असर आम नागरिकों के जीवन में दिखना चाहिए. एआई केवल बड़ी कंपनियों के लिए ही नहीं, बल्कि छोटे किसानों, ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच को बेहतर बनाने में भी सहायक होनी चाहिए.
वैष्णव ने आगे कहा कि India का मिशन है छात्रों, शोधकर्ताओं और स्टार्टअप्स के लिए विशाल कम्प्यूटिंग सुविधाएं उपलब्ध कराना. आज देश में 38,000 जीपीयू पहले से ही कार्यरत हैं, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है. आने वाले समय में मांग तेजी से बढ़ेगी, इसलिए क्षमता को लगातार बढ़ाना जरूरी है. उन्होंने बताया कि हाल ही में आईआईटी बॉम्बे की टीम एक स्वदेशी मॉडल पर काम कर रही है जो 1 ट्रिलियन पैरामीटर्स तक का होगा, जबकि अब तक का सबसे बड़ा मॉडल लगभग 120 बिलियन पैरामीटर्स का रहा है. इस स्तर की परियोजनाओं के लिए भारी संसाधनों की आवश्यकता होगी, इसलिए अतिरिक्त 10,000 जीपीयू जोड़ना अनिवार्य है.
मंत्री ने कहा कि यह भी उत्साहजनक है कि सुविधाएं केवल Bengaluru या पुणे जैसे पारंपरिक केंद्रों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि छोटे शहरों और कस्बों तक फैलाई जा रही हैं. Prime Minister के दृष्टिकोण के अनुरूप यह तकनीक का लोकतंत्रीकरण है, जिससे छोटे शहरों के छात्र और नवोन्मेषक भी समान अवसर पा सकें. Government का लक्ष्य है कि पूरे देश में 500 से अधिक डेटा सेंटर स्थापित किए जाएं.
उन्होंने यह भी बताया कि रणनीति में बदलाव कर अब केवल बड़े मॉडल पर ही नहीं, बल्कि डोमेन-विशेष एआई मॉडल्स पर भी काम हो रहा है. जैसे, स्वास्थ्य सेवा और मटेरियल साइंसेज पर केंद्रित मॉडल्स को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे आत्मनिर्भर India की दिशा में गति मिलेगी.
अंत में, मंत्री ने कहा कि सेमीकंडक्टर, एआई और इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग में India तेजी से आगे बढ़ रहा है. आने वाले दिनों में डीपीपी नियमों को भी प्रकाशित किया जाएगा, जो इस दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम होगा.
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पीआईएम/डीएससी