हल्द्वानी, 2 जुलाई . उत्तराखंड के हल्द्वानी के रहने वाले दिव्यांग जीवन चंद्र जोशी अपनी काष्ठ कला से लकड़ी में जान डालने का काम कर रहे हैं. हाल ही में Prime Minister Narendra Modi ‘मन की बात’ कार्यक्रम में भी उनकी कला की सराहना कर चुके हैं. वहीं, जीवन चंद्र जोशी को एक और उपलब्धि हासिल होने जा रही है. उन्हें President द्रौपदी मुर्मू 15 अगस्त को सम्मानित करने जा रही हैं.
President का निमंत्रण पत्र पाकर जीवन चंद्र जोशी उत्साहित हैं. इसके लिए उन्होंने Prime Minister Narendra Modi और उत्तराखंड के Chief Minister पुष्कर सिंह धामी का आभार जताया.
जीवन चंद्र ने बताया कि वह मूल रूप से अल्मोड़ा जनपद के तल्ला जाखन देवी के रहने वाले हैं. दोनों पैरों में पोलियो हुआ तो पढ़ाई भी 10वीं तक ही हो पाई. अल्मोड़ा के पहाड़ों पर चीड़ मिली तो उसकी छाल से बनाई कलाकृतियों ने जीवन चंद्र के जीवन को नई राह दिखाई.
पिछले दो दशक से वह हल्द्वानी के कटघरिया में रहते हैं, जहां छोटी सी दुकान में कलाकृतियों को तैयार करने का काम करते हैं. वहां रहने वाले स्थानीय लोग उन्हें चाचू के नाम से जानते हैं. पहाड़ों पर बेकार समझे जाने वाले चीड़ छाल और उसकी लकड़ियों से जीवन ने कलाकृतियां बनाईं, जो पहचान बना रही हैं.
जीवन चंद्र अपने हाथों से तैयार कलाकृतियां स्थानीय स्तर पर बिक्री करते हैं. इसके साथ ही प्रदर्शनियों में भी शामिल होते हैं. जीवन चंद्र ने कोलकाता, Bhopal , चेन्नई, Lucknow तक के एक्सपो में भाग लिया है.
उन्होंने शारीरिक असमर्थता को कभी अपनी कला पर हावी नहीं होने दिया. आज वह एक ऐसी कला में माहिर हैं, जिसे न सिर्फ देश बल्कि विदेशों में भी सराहा जा रहा है. वह India के पहले व्यक्ति हैं, जिन्हें चीड़ के बगेट यानी चीड़ के पेड़ की सूखी छाल पर काम करने के लिए India Government के संस्कृति मंत्रालय ने सीनियर फेलोशिप से नवाजा है. यह उपलब्धि न केवल उनकी कला को मान्यता देती है, बल्कि एक मिसाल भी कायम करती है कि सच्ची मेहनत और लगन का कोई विकल्प नहीं होता.
वह कई तरह की कलाकृतियां बनाते हैं, जिनमें कत्यूर शैली के मंदिर प्रमुख हैं. उत्तराखंड की कला और संस्कृति पर आधारित कलाकृतियों के साथ धार्मिक स्थलों, भगवानों की मूर्तियां, जी-20 में भी उनकी बनाई कलाकृतियां जा चुकी हैं.
जीवन चंद्र का कहना है कि इस विरासत को बचाने के लिए ट्रेनिंग स्कूल खोलना चाहते हैं, जिससे पहाड़ की इस कला को जन-जन तक पहुंचाया जा सके. उनकी उपलब्धि में नैनीताल के सीसीआरटी के कोऑर्डिनेटर गौरी शंकर कांडपाल का भी बड़ा योगदान है, जिसके चलते सीनियर फेलोशिप से सम्मानित किया गया.
गौरी शंकर कांडपाल ने बताया कि संस्कृति मंत्रालय की ओर से उत्तराखंड के गुमनाम कलाकारों की खोज का दायित्व मिला था. इसी कड़ी में सीसीआरटी की फेलोशिप में जीवन चंद्र जोशी की कला को चुना गया. उन्हें 15 अगस्त को सम्मान मिलेगा. यह हमारे लिए गौरव की बात है.
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एएसएच/एबीएम