उत्तर प्रदेश : स्वतंत्र देव सिंह ने बांदा जिले में 35 विभागीय परियोजनाओं का किया लोकार्पण और शिलान्यास

बांदा, 19 मार्च . उत्तर प्रदेश सरकार के जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह बुधवार को बांदा जिले में आयोजित जल एवं पर्यावरण संगोष्ठी में शामिल हुए, जहां उन्होंने जल के महत्व और संरक्षण पर विस्तृत चर्चा की.

इस अवसर पर उन्होंने जनपद में 35 विभागीय परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास भी किया.

जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने संगोष्ठी में उपस्थित लोगों से जल संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने की अपील की. उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2019 में जल जीवन मिशन योजना की नींव रखी गई थी, जब उन्होंने महिलाओं को पानी के लिए संघर्ष करते देखा था. इस योजना के तहत अब तक 2 करोड़ से अधिक घरों तक नल का कनेक्शन पहुंच चुका है. उन्होंने यह भी बताया कि बांदा जनपद में 2,68,000 घरों में नल का कनेक्शन हो चुका है और लोगों को शुद्ध जल मिल रहा है.

बाद में पत्रकारों से बातचीत करते हुए जल शक्ति मंत्री ने कहा कि आज बांदा जनपद की 30 विभागीय परियोजनाओं का लोकार्पण और 5 परियोजनाओं का शिलान्यास किया गया है. इन योजनाओं पर लगभग 59 करोड़ रुपये की लागत आएगी, जिससे करीब 265 हेक्टेयर असिंचित भूमि को सिंचित किया जाएगा और लगभग 400 किसान इसका लाभ उठाएंगे.

उन्होंने बताया कि दौलतपुर पंप नहर और गुणा पंप नहर का आधुनिकीकरण किया जाएगा, जिससे 543 हेक्टेयर असिंचित भूमि को सिंचित किया जा सकेगा और करीब 385 कृषक इसका लाभ उठाएंगे. इसके अलावा, निरीक्षण भवन और विभागीय कॉलोनी का भी जीर्णोद्धार किया गया है.

अटल भूजल योजना के तहत 22 चेक डैम और 39 तालाबों का पुनरुद्धार किया गया है, जिससे 125 हेक्टेयर भूमि सिंचित होगी और लगभग 8.60 लाख घन मीटर पानी का संचय भूजल स्तर पर किया जाएगा. इससे 1880 कृषक लाभान्वित होंगे.

जल शक्ति मंत्री ने यह भी बताया कि अटल भूजल योजना के अंतर्गत 138 रूफटॉप रेनवाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली की स्थापना की गई है, जिससे 27,600 घन मीटर वर्षा जल का संचय होगा.

इसके अलावा, उन्होंने यह भी जानकारी दी कि केन-बेतवा परियोजना पर काम शुरू हो चुका है, जिससे आने वाले समय में यहां के किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी मिलेगा और पेयजल की कोई समस्या नहीं होगी.

जल शक्ति मंत्री के इन कदमों से बांदा जिले के किसानों और नागरिकों के लिए जल की उपलब्धता और जल संरक्षण में उल्लेखनीय सुधार आने की उम्मीद है.

एकेएस/जीकेटी