इनोवेशन और नए प्रयोगों के लिए जानी जा रही उत्तर प्रदेश विधानसभा : सीएम योगी

कानपुर, 8 जनवरी . उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कार्य ही विधायिका में आपकी यात्रा को शानदार और स्मरणीय बनाएगा. कार्यकाल इस मायने में महत्व नहीं रखता कि कितना लंबा कार्य कर रहे हैं, बल्कि महत्वपूर्ण यह है कि कितने प्रभावी तरीके से आपने छाप छोड़ी है. यूपी की दृष्टि से आप छह से सात लाख और उत्तराखंड में साढ़े तीन से चार लाख लोगों की आबादी का नेतृत्व कर रही हैं. यह सौभाग्य लाखों में किसी एक को प्राप्त हो रहा है, इसलिए विधायिका के मंच से हमें भी अपने कार्यों से ऐसा उदाहरण प्रस्तुत करना है, जो औरों के लिए प्रेरणादायी बन सके. विधायिका में आपकी उपस्थिति तभी प्रभावी हो पाएगी, जब आप आमजन व धरातल से जुड़े मुद्दों को रख पाएंगे. विधायिका के मंच पर कही गई आपकी बात आने वाले समय के लिए धरोहर बनती है.

मुख्यमंत्री ने बुधवार को उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड विधान मंडल की महिला सदस्यों के सम्मेलन में शिरकत की. उन्होंने दोनों अध्यक्षों के प्रति आभार जताते हुए कहा कि यह पल मेरे लिए आह्लादित करने वाला है. मेरा दोनों प्रदेशों से जुड़ाव है, क्योंकि उत्तर प्रदेश मेरी कर्मभूमि और उत्तराखंड जन्मभूमि है. ऋतु खंडूरी की पारिवारिक पृष्ठभूमि भी राष्ट्र के लिए समर्पण की है. उनके परिवार से अनुभव व विरासत की अद्भुत परंपराएं जुड़ी हैं.

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश देश की सबसे बड़ी विधानसभा है. यह पिछले ढाई-तीन वर्ष के अंदर इनोवेशन और नए-नए प्रयोगों के लिए जानी जा रही है. यूपी विधानसभा ने ई-विधान को सफलतापूर्वक लागू कर इसे पेपरलेस किया है. पार्लियामेंट्री डेमोक्रेसी में इन बातों को हम केवल बोल ही नहीं सकते, बल्कि उसका अनुभव भी कर सकते हैं. यूपी विधानसभा ने अनेक फील्ड से जुड़े विशेषज्ञों को मंच दिया. सामान्यतः विधानसभा में लोग दलीय प्रतिबद्धता से जुड़े होते हैं, इसलिए कॉमन सहमति नहीं बन पाती है, लेकिन अधिवक्ताओं, अभियांत्रिकी, चिकित्सकों, विज्ञान बैकग्राउंड या अलग-अलग पक्षों के प्रतिनिधि के साथ ग्रुप में बैठते हैं तो दलीय प्रतिबद्धता से ऊपर उठकर समाज व देश के बारे में सोचते हैं.

सीएम योगी ने कहा कि प्रगतिशील देशों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व विधायिका में 10 फीसदी भी नहीं है. उत्तराखंड में 10 फीसदी से थोड़ा ऊपर है. उत्तर प्रदेश विधानसभा में यह प्रतिशत 14 से 15 फीसदी है. अब नारी शक्ति वंदन अधिनियम पारित किया गया है, उत्तराखंड में भी इसमें वृद्धि होगी. भारत दुनिया का सबसे बड़ा व प्राचीन लोकतंत्र है. यह हमारे रग-रग में बसा हुआ है. भारतीय लोकतंत्र ने जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सबको स्वतंत्रता दी है. आधुनिक लोकतंत्र दुनिया में बाद में आया होगा, लेकिन भारत में लोकतंत्र व गणतंत्र की शुरुआत ईस्वी से 600 वर्ष पूर्व वैशाली से प्राप्त होती है. भारत में 1952 में पहला चुनाव हुआ तो पुरुष के साथ महिलाओं को भी मत देने का अधिकार प्राप्त हुआ था. इंग्लैंड में हमसे बाद में मिला. आधुनिक व अन्य देशों में महिलाओं को मताधिकार की ताकत भारत से बहुत बाद में मिली. इस मामले में भारत दुनिया से बहुत आगे है.

उन्होंने कहा कि नर-नारी मिलकर समाज की व्यवस्था का संचालन करते हैं और इसकी शुरुआत परिवार से होती है. केवल सरकार के बहाने कोई स्कीम बहुत सफल हो जाए, यह कठिन है. इसके लिए समाज को भी सहभागी बनना पड़ेगा. 10 वर्ष के अंदर पीएम मोदी के नेतृत्व में हुए कार्य अद्भुत हैं. हर घर में नारी गरिमा के प्रतीक शौचालय बने. 4 करोड़ परिवारों को आवास मिला, उसमें भागीदारी महिलाओं को मिली. 10 करोड़ से अधिक रसोई गैस के कनेक्शन से महिलाओं को काफी राहत मिली. देश के अंदर नारी शक्ति वंदन अधिनियम भी पारित हो चुका है. 2029 के बाद हर चुनाव (विधानसभा व संसद) में भी एक तिहाई से अधिक प्रतिनिधित्व महिलाओं का होने जा रहा है यानी 14-15 फीसदी से बढ़कर यह 33 से 50 फीसदी पहुंच सकता है.

सीएम योगी ने कहा कि हमारे यहां 56 फीसदी महिलाएं ब्लॉक प्रमुख, 70 फीसदी जिला पंचायत अध्यक्ष जीती हैं. स्थानीय निकाय चुनाव, ग्राम प्रधानों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बहुत अच्छा है. वे बहुत अच्छा कार्य भी कर रही हैं. विधायिका में महिलाओं का प्रतिनिधित्व तब प्रभावी होगा, जब वे अपने विवेक से निर्णय लेकर समाज से जुड़ी योजनाओं में संवेदना का परिचय देंगी. आज महिलाएं हर फील्ड में प्रतिनिधित्व कर रही हैं. विधायिका में जाने के लिए समाज जीवन के बारे में भी नजदीक से देखें. कोई पक्ष कमजोर या खराब नहीं होता, उसके बारे में देखने का नजरिया अत्यंत मायने रखता है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि यूपी पहले से ही काफी महत्वपूर्ण रहा है. देश की संविधान सभा में 15 में से चार सदस्य उत्तर प्रदेश (तब यूपी व उत्तराखंड एक) के थे. इसमें चार सदस्य कमला चौधरी, सुचेता कृपलानी, बेगम एजाज रसूल, पूर्णिमा बनर्जी थीं. इन लोगों ने संविधान निर्माण की प्रक्रिया में भागीदार बनकर महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया था. महिला जैसे घर को व्यवस्थित रूप से संचालित करती हैं, वैसे ही ग्राम पंचायत, स्थानीय निकाय, विधानसभा, लोकसभा में जाकर भी महिलाएं विकास के जरिए उदाहरण प्रस्तुत करें.

सीएम ने यूपी के अंदर ग्राम पंचायत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में किए गए कार्यों को गिनाया और बताया कि इससे भी रोजगार का सृजन किया गया. एक गांव कम से कम पांच से सात लोगों को रोजगार उपलब्ध करा सकता है. महिला स्वयंसेवी समूह को जागरूक कर ड्रोन दीदी, बीसी सखी आदि के माध्यम से ग्राम पंचायत को स्वाबलंबी बनाएंगे तो अगल-बगल के गांव भी सीखेंगे. हर विधानसभा क्षेत्र में एक या दो क्षेत्र को उदाहरण बनाइए. शुरुआत एक से होगी, लेकिन उदाहरण सबके लिए होगा. सरकार व समाज जुड़ेगा तो आदर्श मॉडल बनाने में सफल हो पाएंगे.

एसके/