बीजिंग, 26 नवंबर . संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने फिलिस्तीन-इजरायल मुद्दे पर एक बैठक आयोजित की. संयुक्त राष्ट्र स्थित चीन के स्थायी प्रतिनिधि फू त्सोंग ने अपने भाषण में बताया कि पिछले हफ्ते, अमेरिका के वीटो के कारण गाजा में तत्काल युद्धविराम को बढ़ाने के लिए सुरक्षा परिषद के प्रयास एक बार फिर विफल हो गए हैं.
सुरक्षा परिषद के पंगु हो जाने से, ‘युद्ध मशीन’ पूरी गति से दहाड़ रही है. जैसा कि यह पता चला है, सुरक्षा परिषद द्वारा निरंतर देरी का मतलब अधिक विनाश और अधिक नागरिकों की जान को खतरा है. सुरक्षा परिषद रुककर इंतजार नहीं कर सकती. उसे समय के विरुद्ध दौड़ लगानी होगी और यथाशीघ्र सभी आवश्यक कार्रवाई करनी होगी.
चीन ने तत्काल, बिना शर्त और स्थायी युद्धविराम को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया. जीवन बचाने के लिए युद्धविराम एक महत्वपूर्ण शर्त है और इसे किसी भी मुद्दे से नहीं जोड़ा जा सकता है. युद्धविराम के लिए पूर्व शर्तें तय करने पर कायम रहने का अर्थ है निर्दोष नागरिकों की निरंतर हत्या को नज़रअंदाज करना और युद्ध जारी रखने को ‘हरी झंडी देना.’
चीन ने कहा कि मानवीय पहुंच में बाधाओं को दूर किया जाना चाहिए. अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून का पालन करना गैर-परक्राम्य दायित्व है और इसे सौदेबाजी के साधन के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. चीन ने बताया कि ‘दो-राज्य समाधान’ की नींव को कमजोर करने वाली एकतरफा कार्रवाइयों का विरोध किया जाना चाहिए.
अंतर्राष्ट्रीय कानून और सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के आधार पर ‘दो-राज्य समाधान’ को लागू करना फिलिस्तीनी मुद्दे को हल करने का एकमात्र संभव तरीका है. चीन ने यह भी कहा कि व्यापक क्षेत्रीय संघर्षों को रोका जाना चाहिए. मध्य पूर्व में स्थिति पहले से ही खतरे में है. इजरायल को बल प्रयोग के अपने जुनून को छोड़ना होगा, लेबनान, सीरिया, ईरान और अन्य देशों के खिलाफ अपनी आक्रामकता को रोकना होगा और अपनी उत्तेजक व हिंसक कार्रवाइयों को रोकना होगा.
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
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