अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने टैरिफ कम करने के फैसले के खिलाफ ट्रंप की अपील पर सुनवाई की तेज

न्यूयॉर्क, 10 सितंबर . अमेरिकी Supreme court President डोनाल्ड ट्रंप की उस अपील पर तेजी से सुनवाई कर रहा है, जिसमें उनके टैरिफ को रद्द करने का फैसला सुनाया गया था. अदालत ने कहा था कि डोनाल्ड ट्रंप ने अपने संवैधानिक अधिकारों का अतिक्रमण किया है. Tuesday को जारी एक अहस्ताक्षरित आदेश में Supreme court ने कहा कि वह नवंबर के पहले सप्ताह में इस मामले में मौखिक दलीलें सुनेगा.

वाशिंगटन की फेडरल सर्किट कोर्ट ऑफ अपील्स ने पिछले महीने मई में कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड के फैसले को बरकरार रखा था, जिसमें ट्रंप की ओर से शुरू ट्रेड वार में लगाए गए पारस्परिक टैरिफ को अवैध घोषित किया गया था. अपील्स कोर्ट ने अपने फैसले पर 14 अक्टूबर तक रोक लगा दी थी, और अब यह रोक तब तक जारी रहेगी, जब तक Supreme court अपील पर सुनवाई कर रहा है.

ट्रंप प्रशासन ने इस मामले को तेजी से सुनने की मांग की थी, क्योंकि उनका कहना था कि अगर सामान्य प्रक्रिया के तहत जून तक इंतजार किया गया और फिर नकारात्मक फैसला आया, तो Government की वित्तीय स्थिति पर गंभीर असर पड़ेगा, क्योंकि उसे 750 बिलियन डॉलर से एक ट्रिलियन डॉलर के बीच टैरिफ वापस करने पड़ सकते हैं.

Tuesday को एक अन्य फैसले में Supreme court के मुख्य न्यायाधीश जॉन रॉबर्ट्स ने एक फेडरल जज के उस आदेश को स्थगित कर दिया, जिसमें ट्रंप प्रशासन को कांग्रेस की ओर से स्वीकृत 4 अरब डॉलर की विदेशी सहायता को अनफ्रीज करने का आदेश दिया गया था.

ट्रंप एक ‘पॉकेट रिसेशन’ सिस्टम का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसके तहत Government बजट में आवंटित धन को वित्तीय वर्ष समाप्त होने से पहले खर्च नहीं कर पाती और ऐसे में धन खजाने में वापस चला जाता है. टैरिफ का मामला संविधान के उस प्रावधान पर टिका है, जो कांग्रेस को टैरिफ लगाने का एकमात्र अधिकार देता है.

President डोनाल्ड ट्रंप ने इंटरनेशनल इकोनॉमिक इमरजेंसी पावर्स एक्ट (आईईईपीए) का हवाला देते हुए तथाकथित पारस्परिक शुल्कों को एकतरफा लागू कर दिया. उनका दावा था कि व्यापार घाटे ने एक आर्थिक आपातकाल पैदा कर दिया है, जिससे उन्हें टैरिफ निर्धारित करने का अधिकार मिला है.

Supreme court दो अलग-अलग टैरिफ मामलों को एक साथ जोड़ रहा है और उसने इस मामले को लाने वाली पार्टियों और Government के वकीलों को 19 सितंबर तक लिखित विवरण दाखिल करने, 20 अक्टूबर तक जवाब देने और 30 अक्टूबर तक उनके जवाब देने की समय सीमा तय की है. कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान मौखिक बहस को भी एक घंटे तक सीमित कर दिया है.

डीसीएच/एबीएम