अमेरिकी राजदूत ने अदाणी के खावड़ा परियोजना स्थल का किया दौरा

नई दिल्ली, 18 जुलाई . भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने अदाणी समूह की दुनिया की सबसे बड़ी खावड़ा अक्षय ऊर्जा परियोजना का दौरा किया. यह इस बात का ताजा संकेत है कि समूह हिंडनबर्ग हमले से आगे बढ़ गया है और उसे नया समर्थन मिल रहा है.

गार्सेटी ने 16 जुलाई को खावड़ा का दौरा करने के बाद एक्स पर एक पोस्ट में कहा,”गुजरात में खावड़ा अक्षय ऊर्जा केंद्र की मेरी यात्रा से प्रेरणा मिली, जहां मैंने अदाणी ग्रीन की अभिनव परियोजनाओं के बारे में जाना, जो भारत के शून्य-उत्सर्जन के लक्ष्य को आगे बढ़ा रही हैं. ग्रीन ऊर्जा पर्यावरण संरक्षण की आधारशिला है, और हमारी द्विपक्षीय साझेदारी इस क्षेत्र और दुनिया के लिए एक स्वच्छ और हरित भविष्य के समाधान को आकार देने की कुंजी है.”

गौरतलब है कि अदाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड गुजरात के कच्छ में खावड़ा में बंजर भूमि पर 30 हजार मेगावाट की दुनिया की सबसे बड़ी अक्षय ऊर्जा परियोजना विकसित कर रही है. 538 वर्ग किलोमीटर की यह परियोजना पेरिस से पांच गुना बड़ी है और मुंबई शहर के बराब है. एजीईएल ने काम शुरू करने के 12 महीनों के भीतर दो हजार मेगावाट के उत्पादन के साथ परियोजना का लगभग छह प्रतिशत चालू कर दिया है और पूरी परियोजना 2030 तक पूरी होनी है.

ग्रुप के चेयरमैन गौतम अदाणी ने गार्सेटी के साथ एक तस्वीर पोस्ट करके और उनके दौरे के लिए धन्यवाद देकर जवाब दिया, “खावड़ा और मुंद्रा पोर्ट पर अदाणी के 30 गीगावाट रिन्यूएबल एनर्जी साइट पर उनके दौरे के लिए भारत में अमेरिका के राजदूत का आभारी हूं. इस दौरान उनके साथ भू-राजनीति, ऊर्जा संक्रमण और भारत-अमेरिका संबंधों पर खुली चर्चा हुई. कड़क चाय पीने से लेकर होली मनाने, क्रिकेट खेलने, हिंदी में बात करने और राेज छोले भटूरे खाने और भारतीय संस्कृति के प्रति उनकी दीवानगी अद्भुत है!”

इस यात्रा और इसे सार्वजनिक करने को भारत के सबसे बड़े बुनियादी ढांचा समूह में अमेरिकी सरकार के भरोसे के संकेत के रूप में देखा जा रहा है.

यह अमेरिकी शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा अदाणी समूह पर कॉर्पोरेट धोखाधड़ी और स्टॉक हेरफेर का आरोप लगाने के कुछ महीनों बाद आया है. अदाणी समूह ने सभी आरोपों का खंडन किया है और अपनी अधिकांश सूचीबद्ध कंपनियों के साथ वापसी की है, जो हिंडनबर्ग रिपोर्ट के कारण हुए घाटे को कम कर रही हैं.

अदाणी समूह भारत की रणनीतिक बुनियादी ढांचा पहलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है, विशेष रूप से इसकी सीमाओं के बाहर, जहां यह चीन की व्यापक ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स’ और ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ (बीआरआई) के साथ सीधे प्रतिस्पर्धा करता है.

चीनी हितों को पीछे छोड़ते हुए इजराइल में हाइफा बंदरगाह का अधिग्रहण, चीनी प्रतिस्पर्धा के सामने इसके बढ़ते वैश्विक प्रभाव को उजागर करता है.

हिंडनबर्ग ने अदाणी समूह पर निंदनीय रिपोर्ट तब प्रकाशित की, जब उसने हाइफा का अधिग्रहण किया था.

वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी ने आरोप लगाया है कि चीनी संबंधों वाले एक व्यवसायी ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट को कमीशन दिया था. उनका दावा है कि चीनी जासूस अनला चेंग और उनके पति मार्क किंगडन ने अदाणी पर रिपोर्ट तैयार करने के लिए हिंडनबर्ग को काम पर रखा था.

चेंग द चाइना प्रोजेक्ट (पूर्व में सुपचाइना) के संस्थापक और सीईओ हैं, जो एक स्वतंत्र डिजिटल समाचार, व्यापार, कार्यक्रम और परामर्श बाज़ार मंच है. इससे पहले, चेंग ने एशियन हेज फंड ऑफ फंड्स, सेंटेनियम कैपिटल का एक पारिवारिक कार्यालय चलाया था. सेबी के नोटिस के अनुसार, दंपति ने अदाणी शेयरों की शॉर्ट-सेलिंग के लिए एक ट्रेडिंग खाता स्थापित करने के लिए उदय कोटक के स्वामित्व वाली कोटक महिंद्रा इन्वेस्टमेंट लिमिटेड (केएमआईएल) का इस्तेमाल किया.

गार्सेटी ने अहमदाबाद में अदाणी के प्रधान कार्यालय का भी दौरा किया, जहां उन्होंने अमेरिका-भारत साझेदारी के महत्व और भू-राजनीतिक परिदृश्य में भारत के बढ़ते महत्व पर जोर दिया. अदाणी समूह बुनियादी ढांचे, मुख्य रूप से बंदरगाहों और बिजली क्षेत्र में अपनी परियोजनाओं के माध्यम से श्रीलंका, बांग्लादेश, मध्य पूर्व, इज़राइल, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और म्यांमार सहित विभिन्न क्षेत्रों में चीन के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहा है.

/