यूपी के स्कूली बच्चों ने गढ़ी हरियाली की नई परिभाषा, क्यूआर कोड और तकनीक से पेड़ों को दी पहचान

लखनऊ, 23 अप्रैल . पृथ्वी दिवस 2025 की गतिविधियों ने उत्तर प्रदेश में पर्यावरण संरक्षण के प्रति एक नई दिशा स्थापित की. योगी सरकार की पहल से बच्चों ने अपनी सक्रिय भागीदारी दिखाई और पर्यावरण को लेकर एक जिम्मेदार और जागरूक दृष्टिकोण अपनाया. क्यूआर कोड के माध्यम से पेड़ों को डिजिटल रूप से टैग किया गया, जिससे उनकी पहचान और उपयोगिता से जुड़ी जानकारी जन-जन तक पहुंची.

यह कदम न केवल तकनीक के माध्यम से पेड़ों और पौधों की जानकारी देने का था, बल्कि इसके जरिए बच्चों ने पर्यावरण संरक्षण के महत्व को समझा और उसे लागू किया. पृथ्वी दिवस पर उत्तर प्रदेश में पर्यावरणीय जागरूकता की एक नई लहर उठी है. योगी सरकार ने इसे सिर्फ एक दिन की घटना नहीं, बल्कि एक निरंतर चलने वाले अभियान में बदल दिया है, जिससे आने वाले समय में हमारे पर्यावरण को संरक्षित किया जा सकेगा.

उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने कहा, “पृथ्वी दिवस केवल एक दिन नहीं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण का सतत संकल्प है. योगी सरकार इसे एक अभियान के रूप में आगे बढ़ा रही है. हमारे परिषदीय विद्यालयों के बच्चे अब पर्यावरण के रक्षक बनकर न केवल हरियाली का संदेश देंगे, बल्कि पूरे प्रदेश में जागरूकता की एक नई अलख भी जगाते रहेंगे. इस प्रयास में हर नागरिक की सहभागिता अनिवार्य है.”

योगी सरकार ने इस पहल को सफल बनाने के लिए राज्यभर में व्हाट्सएप ग्रुप की मदद से रियल-टाइम निगरानी की. यह कदम विद्यालयों और स्थानीय निकायों के बीच समन्वय बढ़ाने के लिए उठाया गया. यह सुनिश्चित किया गया कि पर्यावरणीय गतिविधियां पूरी तरह से प्रभावी और सही तरीके से लागू हों. जिलों, ब्लॉकों और स्कूलों के बीच बेहतर संवाद और जानकारी साझा करने से इस मुहिम को और गति मिली.

अब विद्यालयों में क्यूआर कोड के जरिए पेड़ों की पहचान के साथ-साथ पौधरोपण, पोस्टर निर्माण और नारा लेखन जैसी गतिविधियां भी नियमित रूप से की जा रही हैं. स्कूलों में आयोजित संवाद सत्रों में बच्चे जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण सुरक्षा और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण पर खुलकर चर्चा करते हैं.

इसके अलावा, अभिभावकों और समुदाय के सदस्य भी इन गतिविधियों का हिस्सा बने, जिससे बच्चों के प्रयासों को और अधिक प्रोत्साहन मिला.

मिशन लाइफ के अंतर्गत, योगी सरकार ने बच्चों को पर्यावरण प्रहरी के रूप में तैयार किया. यह पहल न केवल बच्चों को पर्यावरणीय जिम्मेदारी सौंपने का एक प्रभावी तरीका साबित हुई, बल्कि इसने उन्हें जागरूक नागरिक बनने के लिए प्रेरित किया. अब, हर बच्चा पर्यावरण के प्रति अपनी भूमिका को समझते हुए दूसरों को भी इसके महत्व के बारे में जानकारी दे रहा है.

एसके/एबीएम