जार्जिया संसदीय चुनाव नतीजों पर बवाल, रूस ने ‘हस्तक्षेप करने’ के आरोप किए खारिज, नाटो ने की जांच की मांग

मास्को, 28 अक्टूबर . रूस ने सोमवार को जॉर्जिया में संसदीय चुनावों में हस्तक्षेप के आरोपों को ‘निराधार’ बताया. वहीं दूसरी तरफ उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) ने कथित ‘चुनाव संबंधी उल्लंघनों’ की जांच की अपील की.

क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने मीडिया ब्रीफिंग के दौरान कहा, “हम इस तरह के आरोपों को पूरी तरह से खारिज करते हैं. ये कई देशों के लिए मानक बन गया है कि छोटी सी बात पर वे तुरंत रूस पर हस्तक्षेप का आरोप लगा देते हैं. नहीं, यह सच नहीं है, कोई हस्तक्षेप नहीं हुआ था और आरोप पूरी तरह से निराधार हैं.”

जॉर्जिया में शनिवार को हुए संसदीय चुनावों में 18 पार्टियों ने हिस्सा लिया, जिसमें सत्तारूढ़ जॉर्जियाई ड्रीम भी शामिल है, जिसे 52.99 प्रतिशत वोट मिले.

यह पहली बार था कि देश में चुनाव पूरी तरह से आनुपातिक प्रणाली के तहत आयोजित किए गए, जिसमें लगभग 90 प्रतिशत मतदाताओं ने मतदान केंद्रों पर इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का इस्तेमाल किया.

जॉर्जियाई राष्ट्रपति सलोमी जौराबिचविली ने चुनाव परिणाम को खारिज कर दिया और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अवैध सरकार की जगह लोगों के साथ खड़े होकर देश की रक्षा करने अपील की.

जौराबिचविली ने एक्स पर लिखा, “ये चुनाव अवैध हैं.’ उन्होंने चुनाव प्रक्रिया को ‘एक रूसी विशेष अभियान’ और ‘हाइब्रिड युद्ध का एक नया रूप’ बताया.

इस बीच अमेरिका और यूरोपीय संघ के बाद, नाटो ने भी सोमवार को जांच की मांग करते हुए कहा कि इंटरनेशनल ऑबर्जवेशन मिशन ने पाया है कि चुनाव असमान परिस्थितियों में हुए, जिससे नतीजों पर जनता का भरोसा कम होता है.

नाटो प्रवक्ता फराह दखलल्लाह ने कहा, “चुनाव संबंधी उल्लंघनों की रिपोर्ट की पूरी तरह से जांच होनी चाहिए.”

केंद्रीय चुनाव आयोग के शुरुआती नतीजों से संकेत मिलता है कि सत्तारूढ़ जॉर्जियाई ड्रीम पार्टी 52.99 प्रतिशत से अधिक वोटों के साथ आगे चल रही है.

केंद्रीय चुनाव आयोग के अध्यक्ष जियोर्जी कलंदरिशविली ने कहा कि शुरुआती आंकड़ों के आधार पर, जॉर्जियाई ड्रीम को 935,004 वोट मिले.

विपक्षी दलों में, गठबंधन फॉर चेंज को 11.2 प्रतिशत वोट मिले, उसके बाद यूनाइटेड नेशनल मूवमेंट को 9.8 प्रतिशत, स्ट्रॉन्ग जॉर्जिया को 9.0 प्रतिशत और गखारिया फॉर जॉर्जिया को 8.2 प्रतिशत वोट मिले.

यह चुनाव देश के लिए बेहद अहमियत रखता है. इसके नतीजे तय करेंगे कि कोकेशियान राष्ट्र यूरोपीय संघ की सदस्यता के करीब पहुंचता है या मॉस्को की ओर मुड़ता है.

सत्तारूढ़ ‘जॉर्जियन ड्रीम’ पार्टी रूस समर्थक मानी जाती है. दिलचस्प बात यह है कि यह पार्टी अपने 12 वर्षों के शासन के दौरान पश्चिम समर्थक समूह से हाल के वर्षों में स्पष्ट रूप से रूस समर्थक बन गई है. वहीं विपक्षी पार्टियों को आमौतर पर पश्चिम का समर्थक माना जाता है.

एमके/