ग्रामीण विकास समिति की बैठक में हंगामा, कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने उठाए सवाल

New Delhi, 1 जुलाई . ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संबंधी संसदीय समिति की बैठक Thursday को उस समय हंगामे की भेंट चढ़ गया, जब सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर और प्रकाश राज को आमंत्रित किए जाने पर BJP MPों ने अपना विरोध जताया.

कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने इस घटना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए संसदीय परंपराओं के उल्लंघन और लोकतांत्रिक मूल्यों पर सवाल उठाए. मसूद के कहा, बैठक की शुरुआत 17 सदस्यों की उपस्थिति में हुई थी. मेधा पाटकर और प्रकाश राज को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था, ताकि वे ग्रामीण विकास और भूमि अधिग्रहण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपने विचार रख सकें.

इमरान मसूद ने कहा, “अगर किसी को बुलाया गया है, तो उनकी बात सुननी चाहिए. आप उनसे सहमत हों या नहीं, यह अलग बात है, लेकिन उनकी बात को अनसुना करना और वॉकआउट करना संसदीय परंपराओं का अपमान है.”

उन्होंने आगे कहा कि भाजपा के सांसदों ने मेधा पाटकर और प्रकाश राज को सुनने से इनकार कर दिया और बैठक से वॉकआउट कर गए. इसके बाद जब विपक्षी सांसदों ने उन्हें वापस बुलाने का अनुरोध किया तो अधिकारियों ने दावा किया कि कोरम खत्म हो गया है. बैठक शुरू होने के समय 17 सदस्य मौजूद थे और उन्होंने उपस्थिति दर्ज की थी. फिर अचानक कोरम कैसे खत्म हो गया? यह अराजकता है और संसदीय प्रक्रिया का मखौल उड़ाने जैसा है. आप लोगों को सुनना क्यों नहीं चाहते?

मसूद ने आगे कहा कि भूमि अधिग्रहण कानून कांग्रेस की Government लेकर आई थी. इस कानून का उद्देश्य किसानों और आदिवासियों की जमीनों को संरक्षित करना था. लेकिन, Madhya Pradesh के सिंगरौली, Odisha और कर्नाटक के औद्योगिक गलियारों में इस कानून का उल्लंघन हो रहा है. आप सुनना नहीं चाहते. लोकतंत्र के अंदर आप सहमत होंगे, असहमत होंगे, लेकिन सुनेंगे तो, अगर नहीं सुनेंगे तो यह लोकतंत्र की भावना के खिलाफ है.

एकेएस/जीकेटी