लखनऊ, 20 फरवरी . योगी सरकार ने प्रदेशवासियों को गुणवत्तापूर्ण एवं सस्ती चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए कई प्रभावी कदम उठाए हैं. इसी का नतीजा है कि वर्ष 2017 से पहले बीमारू प्रदेश कहा जाने वाला उत्तर प्रदेश आज स्वास्थ्य सेवाओं में उत्तम प्रदेश बनकर उभरा है. वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने अपने वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट भाषण में स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धियों और नित्य नए कीर्तिमानों के बारे में अवगत कराया.
वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि आठ वर्ष पहले प्रत्येक वर्ष प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में संक्रामक रोगों से बड़े पैमाने पर मौतें हुआ करती थीं. उस दौरान प्रदेश में रोगों की पहचान, रोकथाम और इलाज की व्यवस्थाएं जनसामान्य को उपलब्ध नहीं थी. योगी सरकार ने कोविड वैश्विक बीमारी के दौरान प्रदेश में जिस कुशलता के साथ इस विभीषिका का सामना किया, उसकी प्रशंसा विश्व स्तर पर की गई. आज प्रदेश में चिकित्सा सुविधाओं का प्रसार जिस प्रकार हुआ है और लगातार हो रहा है, वह अद्भुत है.
उन्होंने बताया कि वर्तमान में प्रदेश में 80 मेडिकल काॅलेज हैं, जिनमें 44 राज्य सरकार द्वारा संचालित हैं एवं 36 निजी क्षेत्र में हैं. प्रदेश में दो एम्स एवं आईएमएस, बीएचयू, वाराणसी तथा जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज, अलीगढ़ संचालित हैं. वर्ष 2024-2025 में 13 स्वाशासी चिकित्सा महाविद्यालय एवं पीपीपी मोड पर तीन जनपदों, महाराजगंज, संभल तथा शामली, में नवीन मेडिकल कॉलेज स्थापित किए गए हैं. वर्तमान में प्रदेश में राजकीय एवं निजी क्षेत्र के मेडिकल काॅलेजों, चिकित्सा संस्थानों, विश्वविद्यालयों में एमबीबीएस की 11,800 सीटें तथा पीजी की 3,971 सीटें उपलब्ध हैं.
वित्त मंत्री ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2025-2026 में यूजी, पीजी के लिए कुल 10,000 सीटें जोड़ने की घोषणा की गई है, जिसमें से 1,500 सीटें उत्तर प्रदेश को प्राप्त होंगी. इसके लिए लगभग 2,066 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है. वर्ष 2017 में सरकारी मेडिकल कॉलेजों में सुपर स्पेशियलिटी की कुल सीटों की संख्या 120 थी. शैक्षणिक सत्र 2024-2025 में सीटों की संख्या को बढ़ाकर 250 किया गया. बलिया तथा बलरामपुर में स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय की स्थापना के लिए क्रमशः 27 करोड़ रुपये तथा 25 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है. वहीं, आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजनान्तर्गत 5.13 करोड़ लोगों के आयुष्मान कार्ड बनाए गए हैं.
उन्होंने बताया कि आयुष्मान कार्ड बनाने में पूरे देश में उत्तर प्रदेश प्रथम स्थान पर है. प्राथमिक स्वास्थ्य इकाइयों को आयुष्मान आरोग्य मंदिर के रूप में उच्चीकृत किया जा रहा है. वर्तमान में कुल 22,681 आयुष्मान आरोग्य मंदिर स्थापित हैं. उप-केंद्रों से टेलीकंसलटेशन प्रारंभ कर ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराने का आरंभ जुलाई, 2020 से किया गया है. प्रदेश में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा पोषित पीपीपी मोड पर निःशुल्क डायलिसिस सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं. प्रदेश में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा पीपीपी मोड पर जनपदीय चिकित्सालयों में सीटी स्कैन की निःशुल्क सेवा उपलब्ध कराई जा रही है.
उन्होंने कहा कि प्रदेश के विभिन्न जनपदों में वर्तमान में 2,110 आयुर्वेदिक, 254 यूनानी एवं 1,585 होम्योपैथिक चिकित्सालयों के साथ ही 8 आयुर्वेदिक काॅलेज एवं उनसे संबद्ध चिकित्सालय, दो यूनानी काॅलेज एवं उनसे संबद्ध चिकित्सालय तथा 9 होम्योपैथिक काॅलेज एवं उनसे संबद्ध चिकित्सालय संचालित हैं. वित्तीय वर्ष 2025-2026 में महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय, गोरखपुर का निर्माण कार्य पूर्ण किया जाना, जनपद अयोध्या में राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय का निर्माण कार्य पूर्ण किया जाना, जनपद वाराणसी में राजकीय होम्योपैथिक मेडिकल काॅलेज की स्थापना कराना लक्षित है.
योगी सरकार के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने डबल इंजन सरकार के नेतृत्व में जल जीवन मिशन में आए बदलाव को भी बताया. उन्होंने कहा कि पीने का पानी घर में उपलब्ध होने का महत्व वही समझ सकता है, जिसके पास यह सुविधा न हो और जिसके घर की महिलाओं, बच्चों को पीने के पानी के लिए दूरदराज से पानी भरकर लाने के लिए रोज घर से निकलना पड़ता हो. घरों में नल से पानी उपलब्ध होने से इन परिवारों को बहुत बड़ी राहत मिली है. जल जीवन मिशन के अंतर्गत प्रदेश के समस्त 2.67 करोड़ ग्रामीण परिवारों को क्रियाशील गृह नल संयोजन प्रदान कर शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है. उक्त लक्ष्य के सापेक्ष 2.34 करोड़ घरों में क्रियाशील गृह नल संयोजन उपलब्ध कराया जा चुका है.
वित्त मंत्री ने बताया कि गंगा को प्रदूषण से मुक्त बनाए रखने एवं उसमें दूषित जल का प्रवाह रोकने के लिए सीवरेज संबंधी कुल 67 परियोजनाएं स्वीकृत हुई हैं, जिनकी कुल स्वीकृत लागत 14,823 करोड़ रुपये है. वर्तमान तक 39 परियोजनाएं पूर्ण कर संचालित की जा रही हैं तथा शेष परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं. जल जीवन मिशन के अंतर्गत ग्रामीण पेयजल योजनाओं के लिए सामुदायिक अंशदान हेतु 4,500 करोड़ रुपये तथा जल जीवन मिशन योजना के अंतर्गत अनुरक्षण एवं संचालन हेतु करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है. मुख्यमंत्री लघु सिंचाई योजना के लिए 1,100 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित की गई है.
–
एसके/एबीएम