विश्वविद्यालयों का निर्माण समय से हो, गुणवत्ता का अनिवार्य रूप से हो पालन : सीएम योगी

लखनऊ, 30 दिसंबर . उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को तीन नए विश्वविद्यालयों (मां पाटेश्वरी विवि बलरामपुर, मां विंध्यवासिनी विवि मीरजापुर और गुरु जंभेश्वर विवि मुरादाबाद) के भवन निर्माण की प्रगति, कर्मचारियों की व्यवस्था और संचालन के संबंध में समीक्षा बैठक की.

मुख्यमंत्री ने कुलपतियों से वहां कराए जा रहे निर्माण कार्यों की वास्तविक स्थिति की जानकारी ली. उन्होंने कुलपतियों से कहा कि निर्माण कार्य समय से हो. इसमें गुणवत्ता का हर हाल में ध्यान रखा जाए.

सीएम योगी ने कहा कि निर्माण कार्य चरणबद्ध तरीके से कराए जाएं. पहले चरण में एकेडमिक और प्रशासनिक भवन का निर्माण कराया जाए. दूसरे चरण में कुलपति, फैकल्टी, गेस्ट हाउस और तीसरे चरण में छात्रावास के निर्माण की कार्रवाई की जाए. विश्वविद्यालय प्रशासन, कार्यदायी संस्था व स्थानीय प्रशासन की कमेटी बनाकर निर्माण कार्य की समय-समय पर समीक्षा की जाए. कुलपति प्रतिदिन या दो दिन में निर्माण कार्यों का अवलोकन करते रहें. यह सुनिश्चित हो कि कार्य गुणवत्तापूर्ण और समय से हो.

सीएम योगी ने कहा कि हर 15 दिन पर उच्च शिक्षा विभाग से निरीक्षण किया जाए. कार्य में किसी भी बाधा की स्थिति में कुलपति, जिलाधिकारी, प्रमुख सचिव से संवाद करें. निर्माण कार्य में किसी भी परिवर्तन के लिए शासन से संपर्क करें. शासन स्तर से कार्यदायी संस्थाओं को इसके लिए दिशा-निर्देश दिए जाएं. उच्च शिक्षा विभाग के मंत्रीगण भी समय-समय पर इन विश्वविद्यालयों में हो रहे निर्माण कार्यों का निरीक्षण करें.

मुख्यमंत्री ने उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिया कि निर्माणाधीन विश्वविद्यालयों में नियमित कर्मचारियों की जल्द से जल्द नियुक्ति की जाए, जिससे अन्य कार्य भी सुगमता से संचालित हो पाएं. इनके लिए अस्थायी व्यवस्था भी तत्काल मुहैया कराई जाए. मुख्यमंत्री ने कुलपतियों को आवासीय समेत अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने का निर्देश दिया.

सीएम योगी ने कहा कि निर्माणाधीन विश्वविद्यालयों के कमांड एरिया में आने वाले महाविद्यालयों की संबद्धता की औपचारिकताओं से जुड़ी कार्रवाई जल्द पूर्ण कर ली जाएं. निर्माणाधीन विश्वविद्यालयों के कुलपति अन्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के साथ बैठक करें और उनका भी सहयोग लें.

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय का लोगो, सूत्रवाक्य व कुलगीत तैयार कराए जाएं. इसके लिए विश्वविद्यालय-महाविद्यालय स्तर पर प्रतियोगिताएं भी आयोजित हों. कुलगीत के निर्माण में विद्वानों की भी मदद ली जाए. इसे वहां की पौराणिकता व उक्त जनपद के विरासत को ध्यान में रखकर बनाया जाए. कुलगीत के माध्यम से विरासत के प्रति गौरव का भाव भी जागृत हो. विश्वविद्यालय स्थापित होने के बाद वहां से किसी भी अतिथि को दिए जाने वाले उपहार में लोगो का उपयोग अनिवार्य रूप से हो.

एसके/एबीएम