गोरखपुर, 23 अक्टूबर . उत्तर प्रदेश के गोरखपुर स्थित बांसगांव तहसील में दुर्गा माता के मंदिर में श्रीनेत क्षत्रियों के रक्त चढ़ाए जाने की परंपरा है. इसमें नौजवान और बुजुर्गों के नौ स्थान पर चीरा लगाकर रक्त निकाला जाता है. उसे बेलपत्र में लेकर मां को अर्पित किया जाता है. यह कई पीढ़ियों पुरानी रस्म है, जो आज भी निभाई जा रही है.
यहां पर रक्त चढ़ाने आए सत्य प्रकाश सिंह कहते हैं कि इस मंदिर में यह परंपरा करीब तीन सौ वर्षों से चली आ रही है. यह परंपरा क्षत्रियों के श्रीनेत वंश के लोगों द्वारा निभाई जाती है. उनका कहना है कि इस मंदिर में जो भी सच्चे मन से मांगते हैं, वो पूरा होता है. इस परंपरा के अंतर्गत 12 दिन के नवजात से लेकर 100 साल के बुजुर्ग तक का रक्त चढ़ाया जाता है. इसका आयोजन शारदीय नवरात्रि में नवमी के दिन किया जाता है.
बांसगांव तहसील के रहने वाले सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी सीपी सिंह ने बताया कि लोग बताते हैं कि यहां पर पहले पशु की बलि देने की परंपरा थी. इसके बाद एक संत के कहने पर पशु की बलि रोक दी गई थी. अब मनुष्य अपने ही शरीर की नौ जगह से रक्त निकाल कर चढ़ाते है. जिनकी शादी नहीं होती है उसके माथे का रक्त चढ़ाते हैं. जिनकी शादी हो जाती है वो नौ जगह से रक्त निकाल कर चढ़ाते हैं. उन्होंने बताया कि इस परंपरा में सिर्फ श्रीनेत क्षत्रिय ही रक्त चढ़ा सकते हैं. अन्य कोई भी नहीं.
पुजारी श्रवण पांडेय ने बताया कि इस मंदिर में रक्त चढ़ाने की परंपरा बहुत पुरानी है. दुर्गा मां का आशीर्वाद ही है कि आज तक इतने सालों में न तो किसी को टिटनेस ही हुआ और न ही घाव भरने के बाद कहीं कटे का निशान ही पड़ा.
बलि के लिए शरीर में चीरा लगाने वाले नाई दिनेश का कहना है कि कई पीढ़ियों से यहां श्रीनेत क्षत्रिय इस परंपरा को निभा रहे हैं. इस कारण आज तक किसी को कोई बीमारी या नुकसान नहीं हुआ है.
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विकेटी/एबीएम