गया, 8 अगस्त . बिहार के गया जिले में रक्षाबंधन की पूर्व संध्या पर महिलाओं ने पर्यावरण संरक्षण के लिए एक अनोखी पहल की. सैकड़ों महिलाओं ने ब्रह्मयोनि पहाड़ की तलहटी में स्थित पौधों को राखी बांधकर रक्षाबंधन का पर्व मनाया. पारंपरिक गाजे-बाजे के साथ पहुंचीं महिलाओं ने पौधों को तिलक लगाकर राखी बांधी और उनकी सुरक्षा का संकल्प लिया. इस अवसर पर स्कूली छात्राएं भी बड़ी संख्या में मौजूद थीं.
स्थानीय महिला नीलम पासवान ने कहा कि “हमने पौधों को राखी बांधकर उनकी रक्षा का वचन दिया है. पेड़ हमारे जीवन का आधार हैं. ये स्वच्छ हवा देते हैं और पर्यावरण को संतुलित बनाए रखते हैं. इसलिए यह पहल पर्यावरण जागरूकता का संदेश देने के लिए की गई है.”
स्थानीय निवासी अजय साव ने बताया कि यह कार्यक्रम बीते पांच वर्षों से लगातार आयोजित किया जा रहा है. पेड़ों को केवल राखी ही नहीं बांधी जाती, बल्कि उन्हें संरक्षित रखने की शपथ भी ली जाती है. इस पहल में शहर के विभिन्न इलाकों से महिलाएं शामिल होती हैं.
वहीं, अशोक कुमार ने इस परंपरा को सराहनीय बताते हुए कहा, “जब तक पेड़ सुरक्षित नहीं होंगे, तब तक मानव जीवन भी सुरक्षित नहीं रह सकता. पेड़ों को राखी बांधने की यह परंपरा रक्षाबंधन को एक नए अर्थ और उद्देश्य के साथ जोड़ती है.” यह अनोखा रक्षाबंधन महोत्सव पर्यावरण संरक्षण के प्रति जन-जागरूकता का मजबूत उदाहरण बनता जा रहा है.
बता दें कि इस तरह की तस्वीरें सिर्फ गया ही नहीं, बल्कि देश के कुछ अन्य हिस्सों से भी सामने आई. भारत-पाकिस्तान सीमा के निकट स्थित स्कूलों में इस रक्षाबंधन पर पर्यावरण संरक्षण को समर्पित एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस अनोखी पहल के तहत स्कूली छात्रों ने वृक्षों को राखी बांधकर न सिर्फ पर्व की महत्ता को दर्शाया, बल्कि पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी भी निभाई.
छात्रों ने कहा कि जिस प्रकार हमारे सैनिक सीमाओं की रक्षा करते हैं, उसी तरह पेड़-पौधे हमें स्वच्छ हवा देकर जीवन की रक्षा करते हैं. इस अवसर पर बच्चों ने पौधों को तिलक लगाकर राखी बांधी और पर्यावरण की रक्षा का संकल्प लिया. उन्होंने सभी नागरिकों से अपील की कि इस रक्षाबंधन पर न केवल अपनों की, बल्कि प्रकृति की भी रक्षा करें.
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एएसएच/डीएससी