वाराणसी, 20 अगस्त . भारतीय रेलवे ने नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में एक नया कदम उठाया है. Prime Minister Narendra Modi के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में स्थित बनारस रेल इंजन कारखाना (बरेका) ने रेलवे पटरियों के बीच देश की पहली रिमूवेबल सोलर पैनल प्रणाली स्थापित की है. यह पायलट प्रोजेक्ट भारतीय रेलवे को पर्यावरण के अनुकूल और ऊर्जा कुशल बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है.
बरेका में 70 मीटर लंबे रेलवे ट्रैक पर 28 सोलर पैनल लगाए गए हैं, जो प्रतिदिन 70 से 80 यूनिट बिजली पैदा कर रहे हैं. यह बिजली करीब 15 किलोवाट की क्षमता के बराबर है. इसका उपयोग कारखाने की बिजली जरूरतों को पूरा करने में हो रहा है.
बरेका के जनसंपर्क अधिकारी (पीआरओ) राजेश ने समाचार एजेंसी को बताया कि रेलवे ट्रैक के बीच खाली जगह का उपयोग कर सोलर पैनल लगाए गए हैं, जिससे अतिरिक्त जमीन अधिग्रहण की जरूरत नहीं पड़ी. यह पहल न केवल बिजली उत्पादन में मदद कर रही है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और जगह के सदुपयोग में भी योगदान दे रही है.
उन्होंने कहा कि यह पायलट प्रोजेक्ट ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक सुखद कदम है. अगर इस प्रोजेक्ट को 100 मीटर तक विस्तार दिया जाए, तो सालाना लगभग 3 लाख यूनिट बिजली का उत्पादन संभव है. हालांकि, इस प्रणाली से जुड़ी कुछ चुनौतियां भी हैं, जिनका अध्ययन किया जा रहा है. भविष्य में इसे और बड़े पैमाने पर लागू करने की योजना है.
उन्होंने बताया कि पश्चिम रेलवे ने भी 12 अगस्त को रतलाम मंडल के नागदा-खाचरोद खंड पर देश की पहली 2×25 केवी विद्युत कर्षण प्रणाली शुरू की है. यह प्रणाली रेलवे विद्युतीकरण की दक्षता बढ़ाएगी और स्थायी ऊर्जा समाधानों को बढ़ावा देगी.
उन्होंने बताया कि दोनों पहलें भारतीय रेलवे के ग्रीन रेलवे के लक्ष्य को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी. यह न केवल बिजली की बचत करेगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में भी एक बड़ा कदम है.
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एसएचके/एबीएम