दीपावली से पहले दमोह में अनोखी पहल, स्व-सहायता समूह की महिलाएं बनीं ‘धनवान’

दमोह, 13 अक्टूबर . दीपावली के त्योहार से ठीक पहले Madhya Pradesh के दमोह जिले में जिला प्रशासन ने ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियान को मजबूत करने के लिए एक अनोखी पहल शुरू की है. यहां 11 से 20 अक्टूबर तक चल रहे दस दिवसीय मेले में स्व-सहायता समूह (एसएचजी) से जुड़ी करीब 80 महिलाओं ने दुकानें सजाई हैं.

ये महिलाएं शहरी और ग्रामीण स्तर पर दीपावली से जुड़ी सामग्री बेचकर न केवल अपनी आमदनी बढ़ा रही हैं, बल्कि आत्मनिर्भरता की मिसाल भी कायम कर रही हैं. मेले में बांस की टोकरियां, लकड़ी के बर्तन, मिट्टी के दीप, जैविक उत्पाद और अन्य हस्तशिल्प बाजार मूल्य से 30-50 प्रतिशत कम दामों पर बिक रहे हैं, जिससे ग्राहकों की भीड़ उमड़ रही है.

दमोह जिले में एसएचजी की महिलाओं ने इस मेले को अवसर के रूप में लिया है. पहले दिन से ही बिक्री शुरू हो गई, और तीन दिनों में कई समूहों ने 5,000 से 10,000 रुपए तक कमा लिए. एक समूह की सदस्य राधा बाई ने कहा, “मैं तीन दिनों से उत्पाद बेच रही हूं और 5,000 रुपए कमा चुकी हूं. हम जैविक उत्पाद और दीप बेच रहे हैं. हम पीएम मोदी के ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियान के आभारी हैं. मैं पहले घर पर रहती थीं, अब सशक्त महसूस कर रही हूं.”

राधा बाई जैसी कई महिलाओं का अनुभव दर्शाता है कि यह मेला न केवल आर्थिक लाभ दे रहा है, बल्कि उनकी जीवनशैली में भी बदलाव ला रहा है.

एक अन्य महिला ने बताया, “जो महिलाएं पहले घर पर रहती थीं, वे अब अधिक सशक्त हैं. हम प्रतिदिन 2,000 से 5,000 रुपए की बिक्री कर रही हैं.”

मेले का आयोजन दमोह शहर के प्रमुख बाजारों और ग्रामीण हाटों में किया गया है. शहरी आजीविका मिशन और ग्रामीण आजीविका मिशन के सहयोग से दुकानें सजाई गई हैं. उत्पादों में दीपावली की रौनक झलक रही है, मिट्टी के सुंदर दीये, बांस से बनी टोकरियां जो फूलों और मिठाइयों के लिए परफेक्ट हैं, लकड़ी के हस्तशिल्प और पर्यावरण-अनुकूल जैविक साबुन व मोमबत्तियां. ग्राहक इनकी किफायती कीमतों पर खुश हैं.

एक स्थानीय व्यापारी ने कहा, “बाजार में ये सामान 200-300 रुपए में मिलते हैं, यहां 100-150 में. महिलाओं का हौसला देखकर अच्छा लगता है.”

यह पहल Madhya Pradesh Government की ‘महिला सशक्तीकरण’ नीति का हिस्सा है.

एससीएच/एबीएम