ओलिव रिडले कछुए को ‘नई जिंदगी’ देने के लिए पुरी समुद्र तट पर बनाई अनोखी कलाकृति

पुरी, 17 जुलाई . विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा के दौरान ओडिशा के पुरी समुद्र तट पर ओलिव रिडले कछुए की अनोखी कलाकृति हजारों दर्शकों का ध्यान अपनी ओर खींच रही है. 30 फीट लंबी, 12 फीट ऊंची और 20 फीट चौड़ी कलाकृति फाइबरग्लास से बनी है. इस कलाकृति को क्रिएटिव विजुलाइजर किरण महाराणा ने बनाया है. ओलिव रिडले कछुए की प्रजाति की संख्या दुनिया में बहुत तेजी से कम हो रही है और उस पर विलुप्ति का खतरा मंडरा रहा है.

यह कलाकृति इस जीव के संरक्षण के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण प्रयासों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए बनाई गई है.

भुवनेश्वर स्थित क्रिएटिव एजेंसी इमेजरी के संस्थापक महाराणा का कहना है कि कला के माध्यम से हम भावनाओं को जगा सकते हैं, और बदलाव लाने के लिए प्रेरित कर सकते हैं. यह कलाकृति लुप्तप्राय ओलिव रिडले कछुए की रक्षा करने की आवश्यकता की ओर ध्यान दिलाने का हमारा हार्दिक प्रयास है. यह पर्यावरण के लिए हर किसी को जिम्मेदार बनने की अपील है.

इस 17 टन की फाइबरग्लास कलाकृति को बनाने में 13 कलाकारों और मूर्तिकारों को 7 दिन लगे. महाराणा ने कहा, “कुछ महीने पहले छुट्टियों के दौरान समुद्र तट पर टहलते समय मुझे आवारा कुत्तों द्वारा खाए जा रहे एक ओलिव रिडले कछुए का शव मिला. इस घटना ने मुझे उनके संरक्षण के लिए जागरूकता पैदा करने के बारे में सोचने के लिए प्रेरित किया. विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा के दौरान इस पहल को शुरू करने का इससे बेहतर समय नहीं हो सकता. इस समय देश भर से लाखों श्रद्धालु यहां जुट जाते हैं. मुझे उम्मीद है कि मेरी कलाकृति के माध्यम से, मैं इस खूबसूरत प्रजाति के संरक्षण में अपना योगदान दे सकूंगा.”

गौरतलब है कि महाराणा ने ही 26 जनवरी 2024 को नई दिल्ली में गणतंत्र दिवस परेड के दौरान ओडिशा झांकी को तैयार किया था और उसे सर्वश्रेष्ठ भी घोषित किया गया था.

इस कलाकृति का उद्घाटन करने वाले प्रसिद्ध संरक्षणवादी और ओडिशा के पूर्व मुख्य वन संरक्षक डॉ. अरुण कुमार मिश्रा ने कहा कि यह कलाकृति इस बात का प्रमाण है कि हमें अपनी प्राकृतिक धरोहर के संरक्षण की तुरंत आवश्यकता है. इस रचनात्मक अभिव्यक्ति के माध्यम से हम ओलिव रिडले कछुए को बचाने के लिए सामूहिक एक्शन को प्रेरित करने की उम्मीद करते हैं.

साल 2002 में ओडिशा की सरकार ने राज्य की प्राकृतिक धरोहर के संरक्षण के लिए कछुओं के व्यापार को प्रतिबंधित करने के लिए सख्त कानून लागू किए थे. वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत संरक्षित होने के बावजूद इन कछुओं को मछली पालन से जुड़ी गतिविधियों के कारण उच्च मृत्यु दर का सामना करना पड़ता है.

इस कार्यक्रम में एयरटेल ओडिशा के डीजीएम मार्केटिंग (ब्रांड और संचार प्रमुख) किरणनाथ त्रिपाठी, जी सार्थक के बिस्वरंजन बारल, बिजनेस सलाहकार देबासीस पटनायक और अशोक राऊत उपस्थित थे.

महाराणा अपने संगठन इमेजरी के माध्यम से पूरे भारत में कला, संस्कृति और विरासत में अपने योगदान के लिए जाने जाते हैं. उनके सामाजिक अभियान और विशिष्ट पहल को प्रतिष्ठित सरकारी संस्थाओं से मान्यता मिली है.

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