‘फिडे महिला विश्व कप’ जीतने वाली दिव्या देशमुख को केंद्रीय खेल मंत्री ने किया सम्मानित

New Delhi, 1 अगस्त . केंद्रीय युवा कार्यक्रम एवं खेल तथा श्रम एवं रोजगार मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने Friday को New Delhi में फिडे महिला विश्व कप 2025 की विजेता दिव्या देशमुख और उप-विजेता कोनेरू हम्पी को सम्मानित किया. दिव्या ने हाल ही में जॉर्जिया के बटुमी में संपन्न हुए टूर्नामेंट में अनुभवी कोनेरू हम्पी को हराकर ऐतिहासिक जीत हासिल की थी.

दिव्या देश की 88वीं ग्रैंडमास्टर और चौथी भारतीय महिला ग्रैंडमास्टर बनीं हैं. दिव्या फिडे महिला विश्व कप जीतने वाली पहली भारतीय महिला और ऐसा करने वाली सबसे कम उम्र की खिलाड़ी भी बनीं. डॉ. मंडाविया ने दिव्या देशमुख को व्यक्तिगत रूप से सम्मानित किया. कोनेरू हम्पी भी इस समारोह में वर्चुअली शामिल हुईं.

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा, “महिला शतरंज विश्व कप में भारत की जीत न केवल भारत के खेल कौशल का प्रमाण है, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा देश में स्थापित खेल इकोसिस्टम में सुधार का सबूत है. सरकार केवल कागजों पर ही नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर खेलों को बढ़ावा दे रही है. हमने ‘खेलो भारत नीति’ की घोषणा की थी. खेलों में सुशासन लाने के लिए संसद में एक राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक पर विचार किया जाएगा. इसके पारित होने और लागू होने के बाद, देश में खेलों के विकास में और तेजी आएगी.”

उन्होंने कहा कि आप जैसे ग्रैंडमास्टर्स नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेंगे. मैंने हम्पी के बारे में पढ़ा है और मुझे पता है कि उन्होंने अपने सफर में कई लोगों को प्रेरित किया है. उन्होंने एक लंबी और विशिष्ट पारी खेली है. मुझे याद है कि मैं घर जाकर अपने बच्चों के साथ उनका खेल देखता था. शतरंज को दुनिया में भारत का एक उपहार माना जा सकता है. यह प्राचीन काल से खेला जाता रहा है. मुझे पूरा विश्वास है कि दिव्या और हम्पी से प्रेरणा लेकर भारत की बेटियां दुनिया में आगे बढ़ेंगी.

बटुमी में 5 से 28 जुलाई तक आयोजित फिडे महिला विश्व कप 2025 में 19 वर्षीय दिव्या देशमुख और अनुभवी ग्रैंडमास्टर कोनेरू हम्पी के बीच ऐतिहासिक अखिल भारतीय फाइनल हुआ. यह पहली बार था जब दो भारतीय महिलाएं फाइनल में पहुंची थीं. यह भारत का पहला महिला विश्व कप खिताब था.

नागपुर की रहने वाली दिव्या ने दो ड्रॉ क्लासिकल गेम्स के बाद एक तनावपूर्ण टाईब्रेक में हम्पी को हराया. उन्होंने इस आयोजन के दौरान झू जिनर, हरिका द्रोणावल्ली और टैन झोंगयी जैसी शीर्ष खिलाड़ियों को हराकर अपना पहला ग्रैंडमास्टर नॉर्म भी हासिल किया.

दिव्या ने कहा, “मुझे बहुत खुशी है कि खिताब भारत आया. कोनेरू ने बहुत अच्छा खेला. लेकिन, मैं भाग्यशाली रही कि मैं जीत गई. मेरे लिए सबसे बड़ी खुशी रही कि खिताब भारत आया. मुझे सम्मानित होकर खुशी हो रही है क्योंकि इससे खिलाड़ियों का हौसला बढ़ता है और युवाओं को यह संदेश मिलता है कि उन्हें देश का समर्थन प्राप्त है. मैं शतरंज को निरंतर समर्थन देने के लिए भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) और खेल मंत्रालय का भी धन्यवाद करना चाहती हूं.”

2002 में 15 साल की उम्र में ग्रैंडमास्टर बनीं कोनेरू हम्पी ने कहा, “यह एक बहुत लंबा और थका देने वाला टूर्नामेंट था और मुझे खुशी है कि मैं अंत तक खेल पाई. दो पीढ़ियों के शतरंज खिलाड़ियों के आमने-सामने होने के कारण भारत ने फाइनल में अपना दबदबा बनाया और खिताब भारत के नाम रहा.”

भारत अक्टूबर में गोवा में ‘फिडे पुरुष विश्व कप 2025’ की मेज़बानी भी करने वाला है.

पीएके/एएस