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भुवनेश्वर, 20 नवंबर . मेफेयर कन्वेंशन, भुवनेश्वर में दो-दिवसीय चिंतन शिविर का Thursday को उद्घाटन हुआ, जिसने भारतीय इस्पात उद्योग के भविष्य पर एक गहन संवाद की शुरुआत की. इस कार्यक्रम का उद्घाटन केंद्रीय इस्पात मंत्री एचडी. कुमारस्वामी ने किया. इस अवसर पर इस्पात राज्य मंत्री भूपतिराजू श्रीनिवास वर्मा, Odisha के उद्योग विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव (एसीएस) हेमंत शर्मा और इस्पात मंत्रालय के सचिव संदीप पौंड्रिक भी उपस्थित थे.
मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ-साथ सेल, राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (एनएमडीसी), मॉयल, मेकॉन, मेटल स्क्रैप ट्रेड कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एमएसटीसी) जैसे केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (सीपीएसई) के प्रमुख, आईएनएसडीएजी, आईएससीए, बीआईएसएजी के क्षेत्र विशेषज्ञ और टाटा स्टील, जेएसडब्ल्यू जैसे निजी उद्योगों के प्रतिनिधि भी इस विचार-विमर्श में शामिल हुए.
एचडी. कुमारस्वामी ने Prime Minister Narendra Modi के रणनीतिक नेतृत्व के लिए आभार व्यक्त किया, जिसने घरेलू इस्पात उद्योग को लचीलेपन और विकास के पथ पर अग्रसर किया है. उन्होंने राष्ट्र निर्माण में इस्पात क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया और क्षमता संवर्धन, नवाचार को बढ़ावा देने और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए Government की प्रतिबद्धता दोहराई.
उन्होंने प्रतिस्पर्धात्मकता और परिचालन उत्कृष्टता बढ़ाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग और डिजिटलीकरण जैसी तकनीकों को अपनाने के महत्व पर प्रकाश डाला. उन्होंने अनुसंधान और विकास में निरंतर निवेश की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि सभी हितधारकों के सामूहिक प्रयास देश के इस्पात उद्योग के समुचित विकास और प्रतिस्पर्धात्मकता को सुनिश्चित करेंगे, जिससे राष्ट्र की प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान मिलेगा.
भूपतिराजू श्रीनिवास वर्मा ने बुनियादी ढांचे के विकास में इस्पात की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि चिंतन शिविर के सभी विषय उद्योग को बढ़ाने और राष्ट्रीय विकास में इसके योगदान को मजबूत करने की दिशा में निर्देशित हैं.
अतिरिक्त मुख्य सचिव हेमंत शर्मा ने कहा कि Odisha को खनिज समृद्ध और तटीय राज्य होने का अनूठा लाभ है, जो इसे इस्पात सहित विभिन्न उद्योगों की स्थापना और विकास के लिए आदर्श बनाता है.
इस्पात मंत्रालय के सचिव संदीप पौंड्रिक ने Prime Minister मोदी के दृष्टिकोण के अनुरूप, इस क्षेत्र के विकास, चुनौतियों और भविष्य पर विचार-विमर्श हेतु ऐसे मंचों के महत्व पर बल देते हुए शिविर की शुरुआत की. उन्होंने कहा कि केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (सीपीएसई) के साथ-साथ निजी क्षेत्र की भागीदारी सर्वोत्तम प्रणालियों को साझा करने में मदद करेगी.
उन्होंने बुनियादी ढांचे पर खर्च से प्रेरित इस्पात की खपत में देश की अनूठी वृद्धि पर प्रकाश डाला. उन्होंने केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों में नई तकनीकों को अपनाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया और प्रोत्साहित किया कि इन प्रयासों का नेतृत्व आंतरिक प्रतिभाओं द्वारा किया जाना चाहिए. उन्होंने युवा अधिकारियों को अपने अनुभव साझा करने के लिए प्रोत्साहित किया. इस उद्देश्य के लिए एक आंतरिक प्रतियोगिता भी आयोजित की गई और सर्वश्रेष्ठ प्रतिभागियों को अपने नए विचार प्रस्तुत करने का अवसर दिया गया.
शिविर के पहले दिन प्रौद्योगिकी-संचालित नवाचार, परिचालन उत्कृष्टता, स्वदेशी तकनीकों और आधुनिक खनन विधियों पर सत्र आयोजित किए गए. इनमें बुनियादी ढांचे के उन्नयन, क्षमता विस्तार और पूरे क्षेत्र में दक्षता सुनिश्चित करने पर चर्चाएं हुईं. विचार-विमर्श में नीति निर्माताओं, उद्योगपतियों और तकनीकी विशेषज्ञों के दृष्टिकोणों को एक साथ लाया गया, जिसका उद्देश्य उद्योग के लिए एक रणनीतिक कार्य-योजना तैयार करना था. चिंतन शिविर Friday को भी जारी रहेगा, जिसमें देश के आर्थिक विकास और औद्योगिक उन्नति को गति देने में इस्पात क्षेत्र की भूमिका को सुदृढ़ करने के लिए दीर्घकालिक रणनीतियों, हितधारक सहयोग और कार्यान्वयन योग्य परिणामों पर सत्र आयोजित किए जाएंगे.
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एसके/एबीएम