केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने ऐतिहासिक गुरुद्वारा ब्रह्मकुंड साहिब में टेका माथा, इतिहास भी बताया

अयोध्या, 4 मार्च . पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने अयोध्या में ऐतिहासिक गुरुद्वारा ब्रह्मकुंड साहिब में माथा टेका. अपनी इस यात्रा से जुड़ी वीडियो और तस्वीरें भी उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शेयर की. इसके साथ ही केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने गुरु गोविंद सिंह की अयोध्या यात्रा और यहां पर मुगलों के साथ लड़े युद्ध से जुड़े इतिहास के बारे में भी बताया.

उन्होंने बताया कि श्रीराम जन्मभूमि रक्षार्थ साहिब-ए-कमाल श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के निर्देश पर निहंग सेना ने मुगलों से युद्ध कर उन्हें धूल चटा दी थी. धर्म और मानवता की रक्षा के लिए गुरु जी की शिक्षाएं, उनके आदर्श हम सभी के लिए प्रेरणा के पुंज हैं. केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने सोशल मीडिया पर एक के बाद एक कई पोस्ट किए.

उन्होंने मंगलवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “अयोध्या यानि जिसे शत्रु जीत न सके. आज उसी अयोध्या जी में प्रभु श्रीराम जन्मभूमि की संघर्ष यात्रा में सिखों के योगदान की एक ऐतिहासिक घटना, जो शायद अब तक अनकही रही, के बारे में बताता हूं. गुरूद्वारे में रखे वे हथियार व अन्य प्रमाण आज भी निहंग सेना के पराक्रम को बयां कर रहे हैं.”

हरदीप पुरी ने आगे लिखा, ”अयोध्या, हिंदू-सिख धर्म के अटूट संबंधों की प्रगाढ़ता का जीवंत प्रमाण है. साक्ष्य मौजूद हैं. श्री राम जन्मभूमि संघर्ष के इतिहास में पहला उपलब्ध प्रमाण निहंग सिख फकीर खालसा की पूजा का है. फैसले के आधार के रूप में उच्चतम न्यायालय ने भी इसकी प्रमाणिकता पर मुहर लगाई है. अयोध्या जी की पावन यात्रा के दौरान मुझे गुरुद्वारा ब्रह्मकुंड साहिब जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ. यह वह भूमि है, जो धन-धन श्री गुरु नानक देव जी साहिब, नौवें पातशाह श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी व दशमेश पिता साहिब श्री गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज की चरण रज से पवित्र है.”

उन्होंने आगे बताया कि हरिद्वार से जगन्नाथ पुरी की उदासी के समय संवत 1557 विक्रमी में सरयू तट (ब्रह्मकुंड) घाट पर बेल के वृक्ष के नीचे बैठकर प्रथम गुरु श्री गुरु नानक देव जी साहिब ने पंडित समाज के मुखियों संग सत्संग कर सत्य उपदेश दिया. वह अलौकिक बेल का वृक्ष आज भी उनके सच्चे उपदेश को महसूस कराता है. हमें सही मार्ग दिखाता है. इस पवित्र गुरूद्वारे के प्रांगण में स्थित श्री गुरु नानक कूप ‘दुःख भंजनी कुवां’ के रूप में जाना जाता है. श्री गुरुनानक देव जी महाराज सन 1508 में पहली उदासी पूरब दिशा की यात्रा के दौरान अयोध्या जी सरयू तट (पश्चिमी) के इस पावन कूप के जल से स्नान किया. इसके उपरांत जल के छींटे श्रद्धालु संगत के ऊपर मारकर दुःख कलेश को दूर किया. इस जल के स्नान से मनोकामना पूर्ण होती है.

केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने लिखा, ”यहां नौवें पातशाह श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की चरण पादुका का स्पर्श कर मैं धन्य हो गया. मन को असीम शांति और अभूतपूर्व शक्ति मिली. कौतक स्थान श्री गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज गुरुद्वारा ब्रह्मकुंड एक असीम आध्यात्मिक शक्ति का केंद्र है. यह पावन गुरुद्वारा सांगत की आस्था के साथ-साथ भारत की चेतना को भी समृद्ध करने का एक पवित्र केंद्र है. यहां मुझे अभूतपूर्व अनुभूति हुई. मेरा अन्तर्मन अनूठे आनंद से भर उठा. शबद की ध्वनि और सरयू जी की आभा भक्ति के सागर में गोता लगवा ही देती है. एक बार हर संगत को यहां जाना चाहिए.”

उन्होंने लिखा, ”पीएम नरेंद्र मोदी के प्रयासों से इतिहास की उलझी हुई गांठ खुल गई और देश को सदियों के उस धैर्य की धरोहर मिल गई. अनगिनत बलिदान, त्याग और तपस्या के बाद प्रभु श्रीराम के मंदिर के रूप में देश को ‘राष्ट्र मंदिर’ मिल गया. हम सौभाग्यशाली हैं कि इसके साक्षी बने हैं.”

केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने लिखा, ”अयोध्या जी में जब धर्म खतरे में था तब श्रीराम जन्मभूमि रक्षार्थ साहिब-ए-कमाल श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के निर्देश पर निहंग सेना ने मुगलों से युद्ध कर उन्हें धूल चटा दी थी. धर्म और मानवता की रक्षा के लिए गुरु जी की शिक्षाएं, उनके आदर्श हम सभी के लिए प्रेरणा का पुंज हैं. प्रभु श्रीरामलला सरकार के मंदिर को देखकर उन्हें भी खुशी की अनुभूति अवश्य हो रही होगी. श्री राम मंदिर के संघर्ष और प्रतीक्षा की कड़ी में पूज्य गुरु जी के योगदान का साक्षात अनुभव यहां आकर किया जा सकता है. मैं यहां आकर भावविभोर हो उठा. वाहे गुरु जी दा खालसा, वाहे गुरु जी दी फतेह.”

एसके/एबीएम