नई दिल्ली, 20 जनवरी . ऑफ्सफैम ग्लोबल की रिपोर्ट में सोमवार को कहा गया कि 1765 से 1900 के बीच यूके (यूनाइटेड किंगडम) के शीर्ष 10 प्रतिशत अमीर लोगों ने भारत से 33.8 ट्रिलियन डॉलर (आज की कीमत के मुताबिक) के मूल्य की सपंत्ति लूटी थी. यह इतना पैसा है कि लंदन के कुल एरिया को 50 पाउंड के नोट से करीब चार बार ढका जा सकता है.
उत्सा पटनायक और प्रभा पटनायक द्वारा लिखी गई रिपोर्ट के अनुसार, उपनिवेशवाद की एक शताब्दी के दौरान ब्रिटेन द्वारा भारत से निकाले गए 64.82 ट्रिलियन डॉलर में से 33.8 ट्रिलियन डॉलर सबसे अमीर 10 प्रतिशत लोगों के पास गए.
रिपोर्ट में बताया गया कि ब्रिटेन में आज भी सबसे अमीर लोगों की एक बड़ी संख्या अपने परिवार की संपत्ति का श्रेय गुलामी और उपनिवेशवाद को देती है.
ऑक्सफैम की रिपोर्ट के मुताबिक, आधुनिक बहुराष्ट्रीय कंपनियां उपनिवेशवाद की देन है. इसकी शुरुआत ईस्ट इंडिया कंपनी जैसी कंपनियों ने की थी, जो खुद कानून बन गई और कई औपनिवेशिक अपराधों के लिए जिम्मेदार थी.
1750 में भारतीय उपमहाद्वीप का वैश्विक औद्योगिक उत्पादन में लगभग 25 प्रतिशत योगदान था, लेकिन 1900 तक यह आंकड़ा तेजी से गिरकर मात्र 2 प्रतिशत पर रह गया.
रिपोर्ट में बताया गया कि इस कमी का श्रेय ब्रिटेन द्वारा एशियाई वस्त्रों के विरुद्ध कठोर संरक्षणवादी नीतियों के कार्यान्वयन को दिया जा सकता है, जिसने भारत की औद्योगिक विकास क्षमता को व्यवस्थित रूप से कमजोर कर दिया. 200 वर्षों में ब्रिटेन द्वारा भारत से 64.82 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की निकासी की गई.
2024 में वैश्विक स्तर पर कुल अरबपतियों की संपत्ति में 2 ट्रिलियन डॉलर की वृद्धि हुई, जिसमें 204 नए अरबपति बने. इस आंकड़े के आधार पर देखा जाए तो पिछले साल एक हफ्ते में औसत चार अरबपति दुनिया को मिले.
रिपोर्ट में बताया गया कि 2024 में कुल अरबपतियों की संपत्ति 2023 की तुलना में तीन गुना तेजी से बढ़ी. प्रत्येक अरबपति की संपत्ति औसतन प्रतिदिन 2 मिलियन डॉलर बढ़ी. सबसे अमीर 10 अरबपतियों की संपत्ति औसतन प्रतिदिन 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर बढ़ी.”
–
एबीएस/