Mumbai , 27 जून . ‘हिंदी विरोध’ ने Maharashtra के Political परिदृश्य को बदल दिया है. 20 साल में पहली बार उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे एक साथ नजर आने वाले हैं. हिंदी को स्कूलों में तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य करने के खिलाफ दोनों नेताओं ने अलग-अलग विरोध शुरू किया था, लेकिन अब दोनों एक सुर में आवाज उठा रहे हैं. राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे ने 5 जुलाई को एक साझा आंदोलन करने का भी फैसला लिया है.
शिवसेना-उद्धव गुट के सांसद संजय राउत ने Friday को पुष्टि की कि Maharashtra के स्कूलों में अनिवार्य हिंदी के खिलाफ एकजुट मार्च निकाला जाएगा. उद्धव ठाकरे और Maharashtra नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे 5 जुलाई को हिंदी थोपे जाने के खिलाफ संयुक्त रूप से विरोध मार्च का नेतृत्व करेंगे.
दोनों नेता पहले अलग-अलग विरोध प्रदर्शन करने वाले थे. राज ठाकरे ने 6 जुलाई जबकि उद्धव ठाकरे ने 7 जुलाई को रैली निकालने का ऐलान किया था.
इस बीच शिवसेना यूबीटी नेता संजय राउत ने कहा कि हम हिंदी के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन इसे जबरन नहीं पढ़ाया जाना चाहिए. प्रेस कॉन्फ्रेंस में शिवसेना-यूबीटी नेता ने कहा, “राज और उद्धव ठाकरे दोनों ने स्वतंत्र रूप से इस पर दृढ़ रुख अपनाया. राज ठाकरे ने जो रुख अपनाया है, वही रुख उद्धव ठाकरे ने भी अपनाया है. ये अच्छा नहीं था कि दो अलग-अलग रैलियां निकाली जाएं, मैंने उद्धव ठाकरे से चर्चा की है. 5 तारीख को एक रैली होगी.”
हालांकि इस रैली की जगह और समय तय नहीं हुआ है. एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए संजय राउत ने कहा, “रैली में शिवसेना-यूबीटी और मनसे (Maharashtra नवनिर्माण सेना) के नेता शामिल रहेंगे. हम चर्चा करेंगे कि रैली कहां होगी और समय क्या होगा.”
इस ऐलान के बाद Maharashtra की राजनीति में 20 साल बाद राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे को एक साथ देखा जा सकता है. 2006 में राज ठाकरे ने शिवसेना से अलग होकर Maharashtra नवनिर्माण सेना का गठन किया था. उसके बाद से दोनों राज और उद्धव ठाकरे को कभी Political मोर्चे पर एक साथ नहीं देखा गया है.
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डीसीएच/केआर