उत्‍तर प्रदेश में कानून व्‍यवस्‍था खराब, राजनीतिक कामों के लिए हो रहा पुलिस का इस्‍तेमाल : उदयवीर सिंह

लखनऊ, 28 मई . समाजवादी पार्टी के नेता उदयवीर सिंह ने उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था को दयनीय बताया है. उन्होंने सूबे में 24 घंटों के भीतर हुई 13 हत्‍याओं पर फिक्र जाहिर करते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने उत्‍तर प्रदेश की लॉ-एंड-आर्डर की स्थिति को खराब कर दिया है.

उदयवीर सिंह ने आरोप लगाया कि पुलिस को प्रदेश सरकार ने केवल राजनीतिक उपयोग के लिए रखा है. नतीजतन प्राथमिकता पर सरकार का काम होता है. पुलिस का पूरा सिस्टम खराब हो चुका है.

उन्होंने कहा कि सरकार को इसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए. बड़बोलापन और बड़े-बड़े दावे से कानून व्यवस्था को ठीक नहीं किया जा सकता.

उन्होंने भाजपा पर तंज कसते हुए कहा कि भाजपा में जो चला जाए उसके सारे केस माफ, सारी जांच खत्म और जो नहीं जाए उसके पीछे पूरा पुलिस तंत्र लग जाता है. उत्तर प्रदेश पुलिस के पास अपराधियों को नियंत्रित करने और उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए व्यवस्था, समय और प्राथमिकता नहीं है, क्योंकि प्रदेश सरकार की प्राथमिकताओं में यह चीजें नहीं हैं. सीसीटीवी कैमरे से लैस महानगरों में हत्याएं हो रही हैं. शहर के चप्पे-चप्पे पर पुलिस है, घटना स्थल पर तो 5 मिनट में ही पुलिस को पहुंच जाना चाहिए.

सिंदूरदान वाले मुद्दे पर सपा नेता उदयवीर सिंह ने कहा, “सिंदूर विवाह का अभिन्न अंग है और वैवाहिक स्थिति का प्रतीक है. सबसे गरीब से लेकर सबसे अमीर परिवारों तक, सिंदूर का सांस्कृतिक और भावनात्मक महत्व है. यह सरकार चुनावी लाभ पाने के लिए राष्ट्रीय उपलब्धियों या युद्ध से लेकर हर चीज का राजनीतिकरण करती दिखती है.”

समाचार एजेंसी से बातचीत के दौरान भाजपा नेता निशिकांत दुबे के राजीव गांधी वाले ट्वीट के सवाल पर उन्होंने कहा कि निशिकांत दुबे को अनायास ही महत्व पाए हुए हैं, कौन हैं निशिकांत दुबे? निशिकांत दुबे की पार्टी की सरकार है, सरकार से सवाल पूछे जा रहे हैं. विदेश मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय और पीएमओ को जवाब देना है. अगर सरकार से सवाल पूछे जाते हैं तो जवाब नहीं आता और जवाब के बदले में विषय को भटकाया जाता है.

समाजवादी पार्टी के नेता उदयवीर सिंह मथुरा मंदिर मुद्दे और सपा प्रमुख अखिलेश यादव के ट्वीट पर कहते हैं, “देश में हर धर्म का अपना धार्मिक ढांचा है और लोग अपनी आस्था के अनुसार पूजा-अर्चना करते हैं. जब तक कानून-व्यवस्था का मुद्दा या किसी अन्य तरह की बाधा न हो, तब तक अनावश्यक सरकारी हस्तक्षेप की कोई आवश्यकता नहीं है. सरकार ने एक बड़ी सेना पाल रखी है, जिसे काम नहीं दे पा रहे हैं. 10 साल की सरकार होने के बाद भी इनको काम नहीं मिल रहा है. अपने लोगों को एडजस्ट करने के लिए इन धार्मिक संस्थाओं को कब्जे की मानसिकता से हस्तक्षेप करने का प्रयास हो रहा है. यह बिलकुल संविधान विरोधी है. प्रदेश सरकार को भू माफिया वाली मानसिकता से मुक्त होना चाहिए और धर्म के प्रचार-प्रसार करने वाले लोगों की मदद करनी चाहिए.”

एएसएच/केआर