Lucknow, 18 अगस्त . मुख्य चुनाव आयुक्त (ईसीआई) ज्ञानेश कुमार ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी का नाम लिए बिना सात दिन के भीतर शपथपत्र दाखिल करने या देश से माफी मांगने की अपील की है. इस पर सियासत तेज हो गई है. Samajwadi Party के नेता उदयवीर सिंह ने कहा कि माफी मांगने को कहना चुनाव आयोग का काम नहीं है.
उदयवीर सिंह ने से बातचीत में कहा कि चुनाव आयोग को अपनी सीमाओं में रहना चाहिए. देश से माफी मंगवाना चुनाव आयोग के काम का हिस्सा नहीं है. चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार नेता की तरह भाषण न दें. प्रेस वार्ता में नेताओं की तरह भाषण देने से चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर संदेह पैदा होता है.
वहीं, उदयवीर ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव के बयान पर कहा कि हम एक सामाजिक रूप से सक्रिय पार्टी हैं. प्रतिक्रियाओं और शिकायतों के आधार पर हम उन्हें अधिकारियों तक पहुंचाते हैं. अगर चुनाव आयोग को अखिलेश यादव के दावों पर संदेह है, तो उन्हें जांच करनी चाहिए, तथ्यों की पुष्टि करनी चाहिए और सार्वजनिक करना चाहिए कि कितने वोट वैध हैं और कितने नहीं. लोकतांत्रिक व्यवस्था में पारदर्शिता मूल मंत्र है. जो संस्था निष्पक्षता दिखाना चाहती है और जनता का विश्वास पाना चाहती है, उसे पारदर्शी होना चाहिए. चुनाव आयोग पारदर्शिता से बचने के लिए बचकाने बयान दे रहा है.
उदयवीर सिंह ने योगी Government के मंत्री असीम अरुण के कन्नौज बूथ पर गड़बड़ी के आरोप का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि असीम अरुण के इस बयान ने राहुल गांधी और विपक्ष के आरोपों की पुष्टि की है. चुनाव आयोग को निष्पक्षता के साथ सारे मामलों को जनता के सामने रखना चाहिए.
‘वोट चोरी’ शब्द पर आपत्ति पर सवाल उठाते हुए उदयवीर सिंह ने कहा कि अगर वोट चोरी जैसे शब्दों से बचना है तो हर वोट की जांच होनी चाहिए. जब चुनाव आयोग भी मानता है कि वोटर लिस्ट पूरी तरह से सही नहीं हो सकती, तो अगर कोई विपक्षी दल संदिग्ध प्रविष्टियों की ओर इशारा करके जांच की मांग करे तो क्या दिक्कत है? अगर जांच में पता चलता है कि किसी अधिकारी ने गलत वोट जोड़े हैं और कार्रवाई की जाती है, तो चुनाव आयोग इतना परेशान क्यों है?
फिल्म ‘द बंगाल फाइल्स’ के प्रदर्शन पर उदयवीर सिंह ने कहा कि जब कई लोग अपने Political एजेंडे के अनुरूप फिल्में बनाने लगते हैं, कला और कलाकारों का राजनीति के लिए इस्तेमाल करने लगते हैं, तो ऐसी समस्याएं पैदा होती हैं. कलाकारों को सामाजिक मुद्दे उठाने चाहिए, लेकिन Politicalरण से बचना चाहिए.
उपPresident चुनाव के लिए सीपी राधाकृष्णन की उम्मीदवारी को लेकर उन्होंने कहा कि राज्यपाल किसी पार्टी का नहीं होता है, Government का होता है. इसका कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह किस प्रदेश का राज्यपाल है. हर दल के अंदर अलग-अलग विचारधारा के लोग होते हैं. मूल मुद्दा यह है कि उपPresident पद से इस्तीफा देने के बाद जगदीप धनखड़ हैं कहां. उपPresident के चुनाव के समय उनकी भी चिंता करनी चाहिए.
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एएसएच/केआर