अगरतला, 10 अक्टूबर . सत्तारूढ़ टिपरा मोथा पार्टी के विधायक रंजीत देबबर्मा के नेतृत्व में त्रिपुरा के नागरिक समाज ने आठ प्रमुख मांगों को लेकर 23 अक्टूबर को 24 घंटे के राज्यव्यापी बंद का एलान किया है. इन मांगों में केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) के निर्देशों के अनुसार अवैध विदेशी प्रवासियों की पहचान और निर्वासन प्रमुख है. यह आह्वान त्रिपुरा के मूल निवासियों की सुरक्षा, सांस्कृतिक अधिकारों और पहचान की रक्षा के लिए किया गया है.
एमएलए हॉस्टल में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में विधायक देबबर्मा ने कहा कि बंद पहले 13 अक्टूबर को निर्धारित था, लेकिन दिवाली त्योहार के दौरान असुविधा न हो, इसलिए इसे 10 दिन आगे बढ़ा दिया गया. उन्होंने तिप्रासा समझौते के कार्यान्वयन में देरी पर चिंता जताई और कहा कि हालिया विधानसभा सत्र में Chief Minister डॉ. माणिक साहा के स्पष्टीकरण से वे संतुष्ट नहीं हैं.
देबबर्मा ने आरोप लगाया कि गृह मंत्रालय के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद राज्य Government अवैध प्रवासियों की पहचान और निर्वासन पर ठोस कार्रवाई नहीं कर रही. “असम ने इस दिशा में सख्त कदम उठाए हैं, लेकिन त्रिपुरा में अनदेखी हो रही है, जिसका नुकसान मूल निवासियों को हो रहा है.”
कई मांगे शामिल हैं, जिनमें गृह मंत्रालय के निर्देशानुसार अवैध प्रवासियों की पहचान, जिला निरोध केंद्रों की स्थापना, घुसपैठ रोकने के लिए बीएसएफ-असम राइफल्स की विशेष टास्क फोर्स (एसटीएफ) का गठन, त्रिपुरा में इनर लाइन परमिट (आईएलपी) लागू करना, तिप्रासा समझौते का पूर्ण कार्यान्वयन, कोकबोरोक भाषा के लिए रोमन लिपि को मान्यता, फर्जी एससी/एसटी प्रमाणपत्रों का रद्दीकरण और 2024 के त्रिपक्षीय समझौते (एटीटीएफ व एनएलएफटी के साथ) का अमल प्रमुख है.
देबबर्मा ने चेतावनी दी कि यदि Government ने इन मांगों पर ध्यान न दिया, तो 23 अक्टूबर के बंद के बाद लोकतांत्रिक आंदोलन और तेज होंगे.
यह आह्वान त्रिपुरा में अवैध प्रवासन की बढ़ती समस्या के बीच आया है. हालिया आंकड़ों के अनुसार, जनवरी 2024 से फरवरी 2025 तक त्रिपुरा Police ने 816 बांग्लादेशी नागरिकों, 79 रोहिंग्या और दो नाइजीरियाई अवैध प्रवासियों को गिरफ्तार किया.
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एससीएच