तृणमूल सांसद कल्याण बनर्जी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिप्पणी के लिए की उपराष्ट्रपित की आलोचना

नई दिल्ली, 26 मार्च . दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के आधिकारिक आवास से कथित रूप से अधजले नोट बरामद होने के बाद उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को राजनीतिक दलों से अपील की थी कि उन्हें ‘जजों की तरफ से जजों की नियुक्ति’ की व्यवस्था को समाप्त करने के लिए एक तंत्र पर विचार करना चाहिए. इस पर तृणमूल सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर आलोचना करने का अधिकार नहीं होना चाहिए.

उपराष्ट्रपति ने राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से एकजुट होकर इस मुद्दे पर विचार करने की बात कही थी. उनका कहना था कि यह मामला भारतीय न्यायपालिका की स्वायत्तता से जुड़ा है, और इसमें किसी भी तरह के राजनीतिक हस्तक्षेप से बचना चाहिए.

कल्याण बनर्जी ने बुधवार को संसद भवन परिसर में एनजेएसी (नेशनल जूडिशल अपॉइंटमेंट कमीशन) पर टिप्पणी करते हुए मीडिया से कहा, “सुप्रीम कोर्ट संवैधानिक संस्था है, न कि कोई अधिकारी. किसी भी व्यक्ति को सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर आलोचना करने का अधिकार नहीं होना चाहिए.”

उन्होंने भारतीय संविधान के कई अनुच्छेदों का हवाला देते हुए कहा कि सभी प्राधिकरण सुप्रीम कोर्ट की मदद के लिए होते हैं, न कि सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ. बनर्जी ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले की आलोचना करना “काफी निंदनीय” है. संसद के बाहर कोई भी चर्चा या कानून बनाने की प्रक्रिया नहीं होनी चाहिए. उनका यह भी कहना था कि एक संवैधानिक प्राधिकरण द्वारा संसद के बाहर किसी भी प्रकार की चर्चा की प्रक्रिया को पेश करना उचित नहीं है, और इसे संसद में ही होना चाहिए.

उल्लेखनीय है कि मंगलवार को राज्यसभा में बोलते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 2014 में सर्वसम्मति से बनाए गए राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) अधिनियम को ‘दूरदर्शी कदम’ करार दिया था. उनका कहना था कि इस कानून का उद्देश्य सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के एकाधिकार को समाप्त कर, सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया को पारदर्शी और न्यायपूर्ण बनाना था. धनखड़ ने इस कानून को रद्द करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को गलत ठहराया.

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