कोलकाता, 2 मार्च . हालांकि तृणमूल कांग्रेस के बागी नेता कुणाल घोष ने पार्टी प्रवक्ता के साथ-साथ राज्य महासचिव के पद से भी इस्तीफा दे दिया था, लेकिन शनिवार को तृणमूल नेतृत्व ने केवल प्रवक्ता के पद से उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया.
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि यह पार्टी द्वारा सभी पार्टी कार्यकर्ताओं को सार्वजनिक रूप से कोई भी पार्टी विरोधी बयान देने से बचने का संकेत देने का एक रणनीतिक कदम है.
कई अन्य संगठनात्मक पदों की तरह राज्य महासचिव का पद महज सजावटी है. पार्टी प्रवक्ता के रूप में कुणाल घोष की भूमिका महत्वपूर्ण थी, क्योंकि वह जो कहते थे, उसे तृणमूल नेतृत्व का आधिकारिक बयान माना जाता था.
शहर के एक वरिष्ठ राजनीतिक पर्यवेक्षक ने कहा, “अब प्रवक्ता के रूप में उनके इस्तीफे को स्वीकार करके सत्तारूढ़ सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब से घोष द्वारा की गई किसी भी टिप्पणी को पार्टी के आधिकारिक बयान नहीं माना जाएगा.”
घोष ने शुक्रवार को अपने आधिकारिक एक्स हैंडल से अपनी राजनीतिक पहचान हटा दी थी, जिसमें कहा गया था कि वह केवल पार्टी के ‘सामान्य सैनिक’ के रूप में बने रहना चाहते हैं. बाद में पता चला कि घोष ने उन दोनों पदों से अपना इस्तीफा दे दिया है, जिन पर वह काम करते थे.
घोष ने शुक्रवार से लोकसभा में तृणमूल के नेता सुदीप बंद्योपाध्याय पर भी निशाना साधना शुरू कर दिया है और उन्हें “भाजपा का गुप्त एजेंट” कहा है.
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एसजीके/