नई दिल्ली, 24 जून . हर रात सोने से पहले हल्दी वाला दूध पीना शरीर के लिए बेहद लाभकारी है. यह आयुर्वेद का ऐसा तोहफा है जो आपके शरीर और मन दोनों को फायदा पहुंचाता है. इम्यून सिस्टम के लिए वरदान से कम नहीं है हल्दी वाला दूध!
चरक संहिता में हल्दी अपने आप में बेहतरीन औषधि मानी गई है. इसे आयुर्वेद में ‘हरिद्र’ कहा गया है. हल्दी त्वचा रोग, सूजन और विषैले तत्वों को दूर करने के लिए जानी जाती है. इसमें करक्यूमिन नामक तत्व होता है जो शरीर में सूजन कम करता है, रोगों से लड़ने में मदद करता है और एंटीऑक्सीडेंट की तरह काम करता है. वहीं दूसरी तरफ, दूध को आयुर्वेद में शरीर की बुनियादी ताकत को बढ़ाने वाला माना गया है. जब ये दोनों मिलते हैं, तो ये त्रिदोष यानी वात, पित्त, कफ को संतुलन में लाते हैं.
अगर आप नींद नहीं आने की शिकायत से परेशान रहते हैं, तो हल्दी वाला दूध आपके लिए रामबाण हो सकता है. इसमें मौजूद ट्रिप्टोफान नामक अमीनो एसिड मस्तिष्क को शांत करता है और गहरी नींद लाने में मदद करता है. यह इम्यून सिस्टम को भी मजबूत करता है. यही नहीं, हल्दी वाला दूध सर्दी-जुकाम, खांसी, गले की खराश जैसी आम बीमारियों में राहत देता है.
दूध से मिलने वाला कैल्शियम और हल्दी का सूजन कम करने वाला गुण मिलकर हड्डियों और जोड़ों को ताकत देते हैं, खासतौर पर गठिया या कमर दर्द में.
इसके अलावा, स्किन की परेशानियों जैसे मुंहासे, खुजली या फोड़े-फुंसियों में भी यह काफी लाभकारी है क्योंकि हल्दी खून को शुद्ध करती है.
पाचन की बात करें तो हल्दी लिवर को साफ करती है और पाचन क्रिया को बेहतर बनाती है, जिससे गैस, कब्ज या एसिडिटी से राहत मिलती है. मानसिक तनाव, चिंता या अवसाद से लड़ने में भी यह मददगार है क्योंकि यह सेरोटोनिन और डोपामिन जैसे हार्मोन को संतुलित करती है.
महिलाओं के लिए भी यह बेहद खास फायदेमंद है. पीरियड्स के दौरान होने वाली ऐंठन, मूड स्विंग और हार्मोनल असंतुलन को यह संतुलित करता है. साथ ही, अगर आप वजन कम करने की सोच रहे हैं, तो हल्दी वाला दूध आपके मेटाबॉलिज्म को तेज करता है और चर्बी घटाने में मदद करता है.
अब सवाल आता है कि इसे कब पिएं?
चरक संहिता में इसे पीने का सबसे सही वक्त रात को सोने से करीब 30 मिनट पहले का है. ध्यान रखें कि खाली पेट हल्दी वाला दूध न पिएं. भोजन कर लेने के बाद इसका सेवन करें. योग या प्राणायाम के बाद हल्दी वाला दूध पीना बेहद फायदेमंद होता है.
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पीके/केआर