बेंगलुरु, 15 जुलाई . कर्नाटक में ‘शक्ति योजना’ के अंतर्गत महिलाओं को मुफ्त बस सेवा उपलब्ध कराई जाती है. कर्नाटक राज्य सड़क परिवहन निगम का आरोप है कि इसकी वजह से राज्य के आर्थिक खजाने को गहरा आघात पहुंच रहा है. वहीं परिवहन मंत्री रामलिंगा रेड्डी कहते हैं कि ये आरोप निराधार है.
रेड्डी ने दावा किया कि शक्ति योजना के लागू होने के बाद परिवहन विभाग के रेवेन्यू में एक हजार करोड़ की बढ़ोतरी हुई है, जबकि कर्नाटक राज्य सड़क परिवहन निगम का कहना है कि इस योजना के लागू होने की वजह से 295 करोड़ का नुकसान हुआ है. इसी को देखते हुए गत 12 जुलाई को निगम ने बैठक बुलाई थी. इसमें बस किराए में बढ़ोतरी के प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित किया गया था.
रेड्डी ने कहा कि उनके यहां 4 निगम हैं और उन्हें इन चारों में से किसी एक से भी इस तरह का प्रस्ताव नहीं मिला है. आंकड़े की जुबानी ट्रैफिक कर में वृद्धि की कहानी भी बताई. उन्होंने कहा कि शक्ति योजना लागू होने से पहले जून 2022 से मई 2023 के बीच ट्रैफिक कर 3 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा था वहीं योजना लागू होने के बाद जून 2023 से मई 2024 के बीच 4 हजार 5 सौ 94 करोड़ रहा यानि इससे 1000 करोड़ तक का रेवेन्यू बढ़ा.
पत्रकारों के सवाल की निगम नुकसान की बात कह रहा है, पर रेड्डी बोले- तथ्य सामने है और मैं उनके आरोपों पर इससे ज्यादा कुछ नहीं बोलना चाहूंगा.
आपको बता दें, कर्नाटक सड़क परिवहन निगम का दावा है कि 2020 से बस ड्राइवर और अन्य कर्मचारियों के वेतन में किसी भी प्रकार की वृद्धि नहीं हुई है. इसकी वजह से हमें आर्थिक दुश्वारियों का सामना करना पड़ रहा है. एक तरफ, जहां दूसरे विभागों में कार्यरत कर्मचारियों के वेतन में प्रति वर्ष वृद्धि होती है, वहीं हमारा वेतन अभी-भी जस का तस बना हुआ है.
उन्होंने इसका प्रमुख कारण राज्य सरकार की शक्ति योजना को बताया.कहा- इसके अंतर्गत महिलाओं को मुफ्त सफर का प्रावधान किया गया है. इसकी वजह से राज्य के आर्थिक खजाने पर करोड़ों का बोझ बढ़ रहा है. मुख्यमंत्री को भी इस दिशा में ध्यान देना होगा.
कर्नाटक सड़क परिवहन निगम के अध्यक्ष राजू कार्गे ने बताया कि यह सब कुछ शक्ति योजना की वजह से हो रहा है. अगर शक्ति योजना को बंद कर दिया जाए, तो निसंदेह ऐसी स्थितियों का हमें सामना नहीं करना होगा. 11 जून 2024 को इस योजना को लागू हुए एक साल हो जाएंगे.
उन्होंने कहा कि राज्य में एक या दो नही, बल्कि पिछले 10 सालों में बस किराए में बढ़ोतरी नहीं की गई है. इसकी वजह से परिवहन विभाग घाटे में हैं और कर्मचारियों को बेशुमार आर्थिक दुश्वारियों का सामना करना पड़ रहा है. अगर कहीं एक दिन भी बस न आए, या बस चालक छुट्टी पर चले जाए, तो आम मुसाफिरों को बेशुमार दुश्वारियों का सामना करना पड़ता है, लिहाजा हमारी मांग है कि राज्य सरकार इस दिशा में ध्यान दें और हमारी समस्याओं का निराकरण करे.
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एसएचके/केआर