हमीरपुर, 6 दिसंबर . युवाओं को प्रशिक्षण देकर अपना उद्यम स्थापित करने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से शुरू की गई पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत उत्तर प्रदेश के एनआईटी हमीरपुर में स्थानीय लोगों को राजमिस्त्री और बढ़ई समेत 18 ट्रेडों में प्रशिक्षण दिया गया.
इसके तहत लोगों को कन्नी, फीता, रांदा और सूत जैसे पारंपरिक उपकरणों से निर्माण कार्य करने की बजाय लेजर तकनीक से घर बनाने का प्रशिक्षण दिया गया. इस तकनीक के तहत मकान की ऊंचाई, लंबाई और चौड़ाई मापने के लिए दोनों ओर से फीता पकड़ने की जरूरत नहीं होगी. लेजर के डिस्टेंस मीटर से महज एक क्लिक में यह काम हो जाएगा.
बढ़ई ट्रेड में 11 लोगों ने और राजमिस्त्री ट्रेड में 21 लोगों ने प्रशिक्षण लिया. इसके अलावा इन लोगों को 500 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से प्रशिक्षण राशि के साथ पीएम विश्वकर्मा सर्टिफिकेट, पहचान पत्र और 15 हजार रुपये के टूलकिट भी दिए गए. साथ ही पांच प्रतिशत ब्याज दर पर तीन लाख रुपये का लोन भी मुहैया करवाया जा रहा है.
एनआईटी हमीरपुर के वास्तुकला विभाग के प्रोफेसर भानु मारवाह ने बताया, “यह पूरा कार्यक्रम सात दिन का था. पहला दिन जीरो डे था. इस दिन इन लोगों का पंजीकरण हुआ. इसके बाद अगले पांच दिन इन लोगों की ट्रेनिंग हुई. आखिरी यानी सातवें दिन इन लोगों का मूल्यांकन किया गया.
प्रशिक्षण के तहत इन लोगों को पीएम विश्वकर्मा स्कीम के बारे में बताया गया. इसके बाद उन इन लोगों को इसके टूल्स के बारे में बताया गया. इसके बाद उन लोगों ने टूल्स के साथ काम किया. इसके तहत इन लोगों ने ईंट से संबंधित तमाम प्रयोग किए और ईंटों के गमले बनाना भी सीखा. साथ ही स्कूलों में छात्रों और स्टाफ के बैठने के लिए ईंटों का फर्नीचर बनाया. उन्हें बैंक अधिकारियों ने लोन स्कीम के बारे में बताया.
फिर इंडस्ट्री डिपार्टमेंट के विशेषज्ञों ने इंडस्ट्री के बारे में विस्तार से समझाया. साथ ही बीमा और कंप्यूटर साइंस के विशेषज्ञों ने अपने-अपने विभागों की जानकारियां मुहैया कराईं. यह सब इन लोगों को खुद का उद्योग शुरू करने में बहुत मदद करेगा.
प्रो. संदीप शर्मा ने बताया, “हमने विभिन्न ट्रेडों को कवर किया है. इसमें कुल 18 ट्रेड हैं. इस योजना के तहत, हमारे पास विभिन्न बैचों का आना शुरू हुआ है. पिछली बार हमने एक बड़ा बैच लिया, जिसमें बढ़ई थे, जिन्हें नई तकनीकी और उपकरणों के साथ एक्सपर्ट बनाने की कोशिश की गई. इस बैच में उन्हें प्रैक्टिकल ट्रेनिंग दी गई और साथ ही थ्योरी भी करवाई गई. इसके अलावा, एक पेपर भी लिया गया और उनके लिए प्रमाणपत्र भी जारी किए गए.”
उन्होंने कहा, “हमने केवल प्रैक्टिकल प्रशिक्षण ही नहीं दिया, बल्कि इस योजना में कुछ अतिरिक्त पहलुओं को भी जोड़ा. आज के युग में जहां हर कोई मकान का नक्शा बनवाकर ही काम शुरू करता है, वहां इन प्रशिक्षुओं को नक्शों को समझने और पढ़ने की क्षमता का अभाव था. इसलिए, हमने एक मॉड्यूल में बदलाव किया और लोगों को यह सिखाया कि नक्शे कैसे बनाए जाते हैं और उन्हें पढ़ा कैसे जाता है. इसके अलावा, हमने उन्हें यह भी बताया कि एलिवेशन, सेक्शन, और अन्य तकनीकी विवरणों को कैसे पढ़ा और लिखा जाता है.”
उन्होंने कहा, “पहले जहां लोग हाथ से रांदा मारते थे और अन्य पारंपरिक उपकरणों का उपयोग करते थे, वहीं अब हमने नई तकनीकों का परिचय कराया है. पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत पावर रिबन और लेजर डिस्टेंस मीटर जैसे उपकरणों से प्रशिक्षुओं को अवगत कराया गया. जहां पहले हम टेप से मापते थे, अब लेजर मीटर का उपयोग किया गया. इससे उनके मापने के तरीके में सुधार हुआ और वे अधिक सटीकता से माप कर सकते हैं. हमने यह सभी नई तकनीकों और उपकरणों का प्रशिक्षण उनके लिए हैंड्स-ऑन तरीके से दिया. इस दौरान हमारे एक बड़े बैच में करीब 11 लोग थे, जो अब विशेषज्ञ बन गए हैं. इसके साथ ही, राजमिस्त्री के बैच में भी प्रशिक्षण दिया गया, जिसमें यह सुनिश्चित किया गया कि लोग सिर्फ प्रैक्टिकल काम ही नहीं कर रहे थे, बल्कि उन्हें नई तकनीकों और उपकरणों के बारे में भी जानकारी दी गई.”
उन्होंने कहा, “इस योजना के अंतर्गत, प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले लोगों को न केवल दिल्ली में पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत टीए, डीए मिलता है, बल्कि उन्हें प्रति व्यक्ति 15 हजार रुपये का टूल किट भी प्रदान किया जाता है, जो सरकार की ओर से दिया गया एक महत्वपूर्ण लाभ है.”
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पीएसएम/एकेजे