इस्लामाबाद, 28 अगस्त . पाकिस्तान सरकार द्वारा मनमाने करों और उच्च बिजली दलों के खिलाफ बुधवार को व्यापारी संघ ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. व्यापारी संघ से जुड़े लोगों ने हड़ताल पर जाने का ऐलान कर दिया है.
राजधानी इस्लामाबाद और रावलपिंडी में विरोध रैलियां निकाली गई. व्यापारी सरकार के फैसले को पलटने की मांग कर रहे हैं और मांगें पूरी नहीं होने पर देश को ठप करने की धमकी दे रहे हैं.
व्यापारियों की इन धमकियों ने शाहबाज शरीफ सरकार को मुश्किल में डाल दिया है. वह श्रमिक वर्ग और व्यापारिक समुदाय पर अधिक कर लगाने की सोच रही है.
हाल में पाकिस्तान द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के साथ सात अरब अमेरिकी डॉलर के नए ऋण के लिए समझौता किया गया. इसके बाद से सरकार द्वारा लगातार बिजली दरों में बढ़ोतरी की जा रही है.
हालांकि, व्यापारी संघ और विपक्षी दल झुकने के मूड में नहीं हैं और उन्होंने व्यापारिक समुदाय पर और दबाव डालने के लिए सरकार की आलोचना की है, जो पहले से ही उसके कई हालिया फैसलों से नाखुश है.
ऑल पाकिस्तान अंजुमन ताजरान के अध्यक्ष अजमल बलूच ने कहा, हम पीछे नहीं हटेंगे.
मरकज़ी अंजुमन ताजरान के प्रमुख काशिफ़ चौधरी ने कहा कि अगर सरकार बातचीत करना चाहती है और व्यापारियों के साथ बातचीत करने के लिए गंभीर है, तो उसे सबसे पहले ताजिर दोस्त योजना की अधिसूचना वापस लेनी चाहिए.
व्यापारी और व्यापारिक समुदाय अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखे हुए है. जमात-ए-इस्लामी (जेआई), जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम फजल (जेयूआई-एफ), पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) और अवामी सहित विपक्षी राजनीतिक दल नेशनल पार्टी (एएनपी) ने देश के व्यापारिक समुदाय के पीछे खड़ी है.
हाफ़िज़ नईम ने कहा, देश को वित्तीय संकट से बाहर निकालने और आईएमएफ से छुटकारा पाने के लिए सरकार को बड़ी मछलियों को टैक्स के जाल में पकड़ना चाहिए. सरकार को जनता पर टैक्स का बोझ डालना बंद करना होगा. व्यापारी कभी भी मनमाना टैक्स नहीं देंगे.
व्यापारिक समुदाय ने सरकार को अधिसूचना तुरंत वापस नहीं लेने पर अनिश्चितकालीन हड़ताल की धमकी दी है.
सदस्यों में से एक ने कहा, प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने स्वीकार किया है कि बजट आईएमएफ द्वारा डिजाइन किया गया था, जो बेहद शर्मनाक है. शटर-डाउन हड़ताल लोगों पर करों का बोझ डालने के सरकार के कदम के खिलाफ एक सार्वजनिक जनमत संग्रह साबित होगी.
इस बीच, स्थानीय प्रशासन ने प्रदर्शनकारियों को इस्लामाबाद के ‘रेड जोन’ क्षेत्र में प्रवेश करने से रोकने के लिए बस सेवाएं बंद कर दी और जगह-जगह कंटेनर रख दिए.
जेयूआई-एफ प्रमुख मौलाना फजल-उर-रहमान ने सरकार के फैसले को आईएमएफ द्वारा “जबरन निर्देश” करार दिया. उन्होंने कहा, देश व्यावहारिक रूप से आईएमएफ समेत अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों के आदेश पर चलाया जा रहा है. दूसरी ओर, सरकार का कहना है कि व्यापारिक समुदाय पर कर लगाने का उद्देश्य आईएमएफ के निर्देशों और मांगों के अनुसार कर का दायरा बढ़ाना है.
सरकार ने कहा कि वह यह सुनिश्चित करना चाहती है कि आईएमएफ की पूर्व शर्तें पूरी हों और बेलआउट पैकेज जारी हो.
आर्थिक विशेषज्ञ शाहबाज़ राणा ने कहा, आईएमएफ बेलआउट पाकिस्तान के लिए एक जीवन रेखा है क्योंकि इसकी मंजूरी अन्य देशों से भी कई निवेश योजनाओं के लिए प्रवेश द्वार खोलेगी.
–
डीकेएम/