वाराणसी, 16 फरवरी . बहुप्रतीक्षित काशी तमिल संगमम (केटीएस) 3.0 का शनिवार को आधिकारिक रूप से उद्घाटन किया गया. इसमें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए. उद्घाटन अवसर पर तमिलनाडु के प्रतिनिधि काशी और तमिलनाडु के बीच समृद्ध सांस्कृतिक संबंधों का जश्न मनाने और काशी विश्वनाथ, प्रयागराज और अयोध्या जैसे ऐतिहासिक स्थलों की यात्रा करने के लिए वाराणसी में एकत्र हुए हैं.
से बात करते हुए कोयंबटूर की एक प्रतिनिधि पवित्रा ने अपनी खुशी व्यक्त की. उन्होंने कहा, “मैं प्रयागराज और वाराणसी में पहली बार महाकुंभ देखने के लिए यहां आकर रोमांचित हूं. यह जीवन में एक बार होने वाला अनुभव है. मैं इसे संभव बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, आईआईटी मद्रास, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) और शिक्षा मंत्रालय का आभारी हूं. 144 वर्षों के बाद इन पवित्र स्थानों का अनुभव कर पाना परम सौभाग्य की बात है.”
कांचीपुरम की मानसा श्री ने काशी और तमिलनाडु दोनों की सांस्कृतिक समृद्धि को जानने के बारे में अपनी उत्सुकता साझा की. उन्होंने कहा, “मैं काशी में आकर, इस स्थान की परंपराओं और पवित्रता को देखकर खुद को भाग्यशाली महसूस करती हूं. आने वाले दिनों में हम काशी विश्वनाथ मंदिर, महाकुंभ और अयोध्या जैसे प्रमुख स्थलों का दौरा करेंगे. यह दोनों क्षेत्रों की संस्कृति का अनुभव करने का एक अविश्वसनीय अवसर है.”
कार्यक्रम में भाग लेने वाली शिक्षिका गोपी के लिए काशी की यात्रा आंखें खोलने वाली रही. उन्होंने कहा, “मैंने काशी और तमिलनाडु के बीच ऐतिहासिक संबंधों के बारे में बहुत कुछ सीखा है. प्रधानमंत्री मोदी अक्सर इन संबंधों के बारे में बात करते रहे हैं, जैसे कि तमिलनाडु में काशी विश्वनाथ के नाम पर मंदिरों का नामकरण. इस सांस्कृतिक आदान-प्रदान का हिस्सा बनना हम सभी के लिए गर्व का क्षण है.”
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने दोनों क्षेत्रों के बीच सांस्कृतिक बंधन को मजबूत करने में केटीएस 3.0 के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी का विजन एक एकीकृत भारत बनाना है, जहां केटीएस 3.0 जैसे सांस्कृतिक आदान-प्रदान लोगों को एक साथ लाएंगे. इस पहल का उद्देश्य हमारे राष्ट्र के सांस्कृतिक ताने-बाने को समृद्ध करना है, क्योंकि हम काशी और तमिलनाडु के बीच साझा विरासत का पता लगाते हैं. इसमें तमिल व्याकरण में ऋषि अगस्त्य के योगदान से लेकर वैदिक मंत्रों पर उनके प्रभाव तक शामिल हैं.”
–
एससीएच/एकेजे