नई दिल्ली, 11 नवंबर . भारत की म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री की कुल एसेट्स अंडर मैनेजमेंट (एयूएम) अक्टूबर में बढ़कर नए ऑल टाइम हाई 66.98 लाख करोड़ पर पहुंच गई है. इसमें मासिक आधार पर 0.25 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. सितंबर में यह 66.82 लाख करोड़ रुपये थी. एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) की ओर से सोमवार को जारी किए गए डेटा से यह जानकारी मिली.
मार्केट एक्सपर्ट्स के मुताबिक, इस महीने कुछ निवेशकों ने हाइब्रिड फंड्स में निवेश में रुचि दिखाई है. इसकी वजह मार्केट में उतार-चढ़ाव होना है.
हाईब्रिड म्यूचुअल फंड कैटेगरी में निवेश मासिक आधार पर 244 प्रतिशत बढ़कर 16,863 करोड़ रुपये हो गया है. यह आंकड़ा सितंबर में 4,901 करोड़ रुपये पर था.
आईटीआई म्यूचुअल फंड के कार्यकारी सीईओ, हितेश ठक्कर ने कहा कि हम भारतीय शेयर बाजार को लेकर काफी सकारात्मक हैं. अन्य उभरते हुए बाजारों की तुलना में यहां अच्छा रिटर्न निवेशकों को मिलेगा.
उन्होंने आगे कहा कि अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप का राष्ट्रपति बनना सकारात्मक है. हमारा मानना है कि छोटी अवधि में बाजार में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है. इसकी वजह घरेलू आय साइकिल का कमजोर होना और सरकारी खर्च में देरी होना है. साथ ही बताया कि निवेशकों को 3 से 5 वर्ष के नजरिए से म्यूचुअल फंड्स में निवेशित रहना चाहिए.
अक्टूबर में इक्विटी म्यूचुअल फंड इनफ्लो 21.69 प्रतिशत बढ़कर 41,887 करोड़ रुपये रहा है. सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) इनफ्लो भी बीते महीने ऑल-टाइम हाई 25,322 करोड़ रुपये रहा है.
बीते महीने स्मॉलकैप, मिडकैप और लार्जकैप तीनों ही कैटेगरी में मजबूत निवेश हुआ है .
लार्ज-कैप फंड कैटेगरी में अक्टूबर में इनफ्लो मासिक आधार पर दोगुना होकर 3,452 करोड़ रुपये रहा है. मिडकैप फंड कैटेगरी में शुद्ध निवेश मासिक आधार पर 50 प्रतिशत बढ़कर 4,683 करोड़ रुपये रहा है. स्मॉलकैप फंड कैटेगरी में इनफ्लो मासिक आधार पर 23 प्रतिशत बढ़कर 3,772 करोड़ रुपये रहा है.
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एबीएस/एबीएम