New Delhi, 21 अगस्त . आम आदमी पार्टी (आप) ने दिल्ली को कूड़ा मुक्त बनाने के लिए एमसीडी के पास राशि नहीं होने को लेकर भाजपा को आड़े हाथों लिया है.
एमसीडी में नेता प्रतिपक्ष अंकुश नारंग ने कहा कि भाजपा की चार इंजन की सरकार के बावजूद एमसीडी के पास पैसा नहीं है. Wednesday को हुई स्टैंडिंग कमेटी की बैठक में एमसीडी आयुक्त ने बताया कि कूड़े के समाधान के लिए 3,500 करोड़ रुपए की जरूरत है और कंसेशनरीज को देने के लिए एमसीडी 70 करोड़ रुपए ही जुटा पा रही है.
उन्होंने कहा कि दिल्ली में हर तरफ गंदगी फैली है. भाजपा का दिल्ली को कूड़े से आजादी दिलाने का अभियान महज फोटोशूट बनकर रह गया है. सीएम और मेयर अपनी ही केंद्र सरकार से पैसा नहीं ला पा रहे हैं. आम आदमी पार्टी शुरू से कहती आई है कि यह अभियान महज एक दिखावा है. महापौर या Chief Minister उन स्थानों पर जाकर फोटो खिंचवाते हैं, जो पहले से ही हमारे कर्मठ सफाई कर्मचारियों द्वारा साफ किए जा चुके होते हैं.
नारंग ने कहा कि Wednesday को स्थायी समिति की बैठक में 18 सदस्यों (न सिर्फ आम आदमी पार्टी के, बल्कि भाजपा के पार्षदों) और मैंने भी बताया कि सेंट्रल जोन में हर जगह कूड़ा ही कूड़ा बिखरा हुआ है. सेंट्रल जोन में कूड़ा उठाने की कोई व्यवस्था नहीं है, जिसके पीछे पहले भी इस मुद्दे पर अभियान चलाए गए थे, यहां तक कि महापौर के कार्यालय के बाहर कूड़ा डालकर प्रदर्शन किया गया था, क्योंकि सेंट्रल जोन में कूड़ा उठाने के लिए टिंपर तक उपलब्ध नहीं हैं.
उन्होंने कहा कि निगम आयुक्त ने भी माना कि सेंट्रल जोन, साउथ जोन और वेस्ट जोन में कूड़े की समस्या गंभीर है. मैंने सिविल लाइंस जोन का भी जिक्र किया, जहां मजलिस पार्क और वजीराबाद के रामघाट में कूड़े का ढेर पड़ा है. यहां तक कि महापौर के घर के आसपास भी कूड़ा जमा है. आयुक्त ने कहा कि इस समस्या के समाधान के लिए 3,500 करोड़ रुपए की जरूरत है, जो निगम के पास नहीं हैं. हमें कंसेशनर को 90 करोड़ रुपए देने होते हैं, लेकिन केवल 70 करोड़ रुपए ही दे पाते हैं, जिसके कारण कंसेशनर सही से काम नहीं कर रहा है. टेंडर के लिए भी धन की कमी है.
उन्होंने यह भी कहा कि अब केंद्र, दिल्ली सरकार और निगम, तीनों उनके पास हैं, तो आयुक्त ने 3,500 करोड़ रुपए की कमी का रोना क्यों रोया, जब भाजपा की Chief Minister दिल्ली को कूड़ा-मुक्त करने की बात करती हैं और प्रधानमंत्री स्वच्छता अभियान चलाते हैं? क्या केंद्र और भाजपा सरकार निगम को 3,500 करोड़ रुपए देने को तैयार नहीं हैं?
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पीकेटी/एबीएम