अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए योगी सरकार समाज में पैदा कर रही विभाजन : वृंदा करात

नई दिल्ली, 24 सितंबर . उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खानपान की वस्तुओं में मानव अपशिष्ट या गंदी चीजों की मिलावट करने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई के आदेश दिए हैं. इस पर सीपीएम नेता वृंदा करात ने प्रत‍िक्रिया दी है.

वृंदा करात ने कहा कि, उनके पास कोई प्रमाण है. अगर कोई ऐसा करता है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. ये लोग फेक खबरों को चलाते हैं और इसी के आधार पर सांप्रदायिक राजनीति करते हैं. इनकी कोशिश जनता का विभाजन करने की है. योगी सरकार अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए समाज में विभाजन पैदा करती है. उनका यह फैसला उनकी विभाजनकारी सोच का जीता जागता प्रमाण है.

ट्रेन डिरेल की घटना को लेकर उन्होंने कहा कि, हमने तो पहले भी कहा कि मौजूदा रेल मंत्री रील मंत्री हैं. पीएम मोदी बुलेट ट्रेन की बात करते हैंं, लेकिन आम आदमी को हर दिन रेलवे के सफर में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. हर दस दिन में हम रेल हादसे की खबर सुन रहे हैं. मेरा मानना है कि रेलवे हमारे देश की एक प्रकार की लाइफ लाइन है. आम आदमी, मजदूर, किसान, गरीब के लिए ये बहुत बड़ा सहारा है. लेकिन उसका बुनियादी ढांचा लगातार कमजोर होता जा रहा है. रेलवे का बेहतर तरीके से रखरखाव नहीं किया जा रहा है और खाली पड़े विभिन्न पदों पर भर्ती की प्रक्रिया बंद है.

ये सरकार केवल सभी चीजों के निजीकरण में लगी हुई है. सरकार की तरफ से कोई भी किसी प्रकार की जिम्मेदारी ना लेकर वह हर चीज का निजीकरण किया जा रहा है. लाखों पद आज भी रेलवे में खाली पड़े हैं. नीति आधारित मुद्दों पर केंद्र सरकार पूरी तरह विफल साबित हुई है. इसलिए हम रेल मंत्री को डिरेल मंत्री कहते है.

तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि की ओर से धर्मनिरपेक्षता को लेकर दिये गए बयान पर उन्होंने कहा कि, उन्होंने संविधान की शपथ ली है, लेकिन वह अब संविधान विरोधी बातें कर रहे हैं. क्‍या उन्होंने कभी संविधान को पढ़ा है? क्‍या उन्होंने कभी सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट को पढ़ा है? सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि धर्मनिरपेक्षता भारत के संविधान का बुनियादी ढांचा है. सेकुलरिज्म एक केवल शब्द नहीं है, यह हमारे संविधान का एक आंतरिक हिस्सा है. जिस तरह से राज्यपाल गलत बयानबाजी कर रहे है, ऐसे में कल को तो वो संविधान को विदेशी कॉन्सेप्ट कह देंगे. वो संविधान की जगह मनुस्मृति लाना चाहते हैं. ये सभी जानते हैं. ऐसे लोगों को पीएम मोदी राज्यपाल बना देते हैं. मैं उम्मीद करती हूं कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जरूर कोई कारवाई करेंगी.

दरअसल तमिलनाडु के राज्यपाल ने कन्याकुमारी में एक समारोह में कहा था, “इस देश के लोगों के साथ बहुत धोखाधड़ी हुई है और उनमें से एक यह है कि उन्होंने धर्मनिरपेक्षता की गलत व्याख्या करने की कोशिश की है. धर्मनिरपेक्षता का क्या मतलब है? धर्मनिरपेक्षता एक यूरोपीय अवधारणा (कॉन्सेप्ट) है. यह भारतीय अवधारणा नहीं है. यूरोप में धर्मनिरपेक्षता इसलिए आई, क्योंकि चर्च और राजा के बीच लड़ाई हुई थी. भारत ‘धर्म’ से दूर कैसे हो सकता है? धर्मनिरपेक्षता एक यूरोपीय अवधारणा है और इसे वहीं रहने दें. भारत में धर्मनिरपेक्षता की कोई आवश्यकता नहीं है.”

एकेएस/