2030 तक सात ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लिए 10.1 प्रतिशत की विकास दर जरूरी : रिपोर्ट

मुंबई, 12 दिसंबर . देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को साल 2030 तक सात ट्रिलियन डॉलर तक बढ़ाने के लिए बुनियादी ढांचा विकास पर 2.2 ट्रिलियन डॉलर के निवेश की जरूरत होगी. गुरुवार को जारी एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है.

नाइट फ्रैंक इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, सात ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने के लिए 2024 से 2030 के बीच औसत आर्थिक विकास दर 10.1 प्रतिशत होनी चाहिए.

बुनियादी ढांचा विकास में निजी भागीदारी के लिए निवेश का अवसर 103.2 अरब डॉलर से 324 अरब डॉलर के बीच है.

नाइट फ्रैंक इंडिया के कार्यकारी निदेशक (सरकार और बुनियादी ढांचा सलाह) राजीव विजय ने कहा, “भारत में बुनियादी ढांचा विकास में एक परिवर्तनकारी युग आने वाला है. निजी निवेश की शक्ति का उपयोग कर हम अपने महत्वाकांक्षी आर्थिक विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में तेजी ला सकते हैं.”

केंद्र सरकार का लक्ष्य 2025 तक अपने सकल राजकोषीय घाटे को 4.5 प्रतिशत से कम करना है. बुनियादी ढांचा विकास में निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाने से राजकोषीय घाटे के लक्ष्यों को संतुलित करने में मदद मिलेगी.

केंद्र की तरफ से 51.2 प्रतिशत, राज्यों की तरफ से 44.1 प्रतिशत और निजी क्षेत्र से 4.7 प्रतिशत की मौजूदा निवेश हिस्सेदारी के साथ 2030 में अनुमानित सकल राजकोषीय घाटा 4.7 प्रतिशत होगा, जो सरकार की परिभाषित राजकोषीय घाटे की सीमा से ऊपर है.

मौजूदा परिदृश्य में, 2030 तक बुनियादी ढांचा विकास में निजी क्षेत्र की भागीदारी 103.2 अरब डॉलर होगी. हालांकि, फिलहाल निजी निवेश की हिस्सेदारी नगण्य है और इसे बढ़ाने की जरूरत है.

यदि निजी निवेश की हिस्सेदारी 10 प्रतिशत बढ़ाकर 14.7 प्रतिशत तक हो जाए तो संभावित निवेश राशि 324 अरब डॉलर हो जाएगी. इसके लिए 2030 तक हर साल 54 अरब डॉलर की औसत से निवेश की जरूरत है.

यह संभावित रूप से सरकार को स्वस्थ राजकोषीय संतुलन बनाए रखने में मदद करेगा.

रिन्यूएबल एनर्जी, डाटा सेंटर, सड़क और राजमार्ग, वेयरहाउसिंग और लॉजिस्टिक्स सेक्टरों में निजी निवेश आकर्षित करने की महत्वपूर्ण क्षमता है.

रिपोर्ट में बताया गया है कि तेजी से बढ़ रहे शहरीकरण और बदलती जनसांख्यिकी के दम पर शहरी सार्वजनिक परिवहन, हवाई अड्डे, बिजली वितरण आदि क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर निवेश के अवसर हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है, “भारत को अपने महत्वाकांक्षी आर्थिक विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचों में निवेश की आवश्यकता है.”

एसकेटी/एकेजे