New Delhi, 26 जुलाई . निर्वाचन आयोग बिहार की मतदाता सूची में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) कर रहा है. प्रदेश और देश की विरोधी पार्टियां इस प्रक्रिया का विरोध कर रही हैं. तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सांसद सुष्मिता देव ने Saturday को Government पर जुबानी हमला करते हुए एसआईआर के जरिए बैकडोर से एनआरसी लाने का आरोप लगाया.
टीएमसी सांसद सुष्मिता देव ने बताया कि एसआईआर की तुलना नागरिकता अधिनियम से की गई. उन्होंने बताया, “विशेष गहन संशोधन (एसआईआर) जन्म प्रमाण पत्र और माता-पिता के दस्तावेजों की मांग करता है, जो सीधे नागरिकता अधिनियम की धारा 3 को प्रतिबिंबित करता है.”
सुष्मिता देव ने केंद्र Government पर चुनाव आयोग के साथ मिलीभगत का आरोप लगाया और इस प्रक्रिया को बैक डोर से एनआरसी लाने का प्रयास बताया.
उन्होंने कहा, “यह सिर्फ ‘मतदाता सफाई’ नहीं है. यह एक भयावह प्रयास है. केंद्र की भाजपा Government, चुनाव आयोग के माध्यम से बैकडोर से एनआरसी लाने के लिए, इसे एक नागरिकता परीक्षण में बदल रही है.”
उन्होंने कहा, “वे लाखों लोगों को वंश साबित करने के लिए मजबूर कर रहे हैं, बड़े पैमाने पर विघटन को जोखिम में डाल रहे हैं. यह हमारे लोकतांत्रिक अधिकारों और नागरिकता पर हमला है.”
बिहार में इस साल चुनाव होने हैं. प्रदेश में एसआईआर को लेकर बयानबाजी भी जारी है. विपक्षी दल लामबंद होकर एसआईआर का विरोध कर रहे हैं. उन्होंने केंद्र Government और आयोग के बीच सांठगांठ का आरोप लगाते हुए लाखों मतदाताओं को वोट देने से वंचित करने का आरोप लगाया है.
वहीं, भाजपा एसआईआर को आयोग की सामान्य प्रक्रिया बता रही है, जिसके तहत फर्जी मतदाताओं की पहचान की जा सके.
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एससीएच/एबीएम