कोलकाता, 30 मार्च . टीएमसी द्वारा लोकसभा चुनाव के लिए प्रदेश की 42 सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा के बाद चयन की प्रक्रिया को लेकर पार्टी में शुरू हुआ अंतर्कलह का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है.
लोकसभा सांसद अपरूपा पोद्दार ने अप्रत्यक्ष रूप से पार्टी के शीर्ष नेतृत्व पर प्रत्याशियों के चयन में अपने वित्तीय हितों को साधने का आरोप लगाया. अपरूपा पोद्दार आरामबाग सीट से दो बार सांसद रह चुकी हैं, लेकिन इस बार उन्हें पार्टी ने टिकट नहीं दिया.
उन्होंने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि आर्थिक तौर पर समृद्ध नहीं होने की वजह से संभवत: पार्टी ने उन्हें इस बार टिकट नहीं दिया.
उन्होंने बिना किसी का नाम लिए आरोप लगाया कि दो मंत्रियों ने मिलीभगत से ऐसा चक्रव्यूह रचा कि उन्हें इस बार चुनाव में टिकट नहीं मिला. उन्होंने कहा, “यह दोनों ही मंत्री मेरी आर्थिक स्थिति से भलीभांति अवगत हैं.”
उन्होंने कहा कि दोनों मंत्रियों ने पूरी वस्तुस्थिति को इस तरह से प्रस्तुत किया कि पार्टी शीर्ष नेतृत्व ने उन्हें टिकट नहीं देने में ही अपनी भलाई समझी.
बता दें कि 2014 के लोकसभा चुनाव में अपनी प्रचंड जीत के साथ ही उन्होंने अपने राजनीतिक सफर का आगाज किया था. 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने आरामबाग लोकसभा सीट से 3.46 लाख वोटों से जीत का परचम लहराया था. यह सीट 1980 से सीपीआई (एम) का गढ़ थी.
हालांकि, 2019 के लोकसभा चुनाव उनकी जीत का अंतर 1,042 के नीचे आ गया था.
इस बार तृणमूल कांग्रेस ने उनकी जगह जमीनी स्तर की कार्यकर्ता मिताली बाग को पार्टी का उम्मीदवार बनाया है.
अपरूपा पोद्दार पहली निवर्तमान लोकसभा सदस्य नहीं हैं, जिन्होंने दोबारा नामांकन से इनकार किए जाने के बाद अपना गुस्सा जाहिर किया है.
इससे पहले बैरकपुर निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा सदस्य अर्जुन सिंह भी बागी हो गए और यहां तक कि भाजपा में वापस चले गए, जिसने उन्हें इस बार पार्टी के उम्मीदवार के रूप में नामित किया है.
पूर्वी बर्दवान जिले के बर्धमान-पूर्व निर्वाचन क्षेत्र से पार्टी के निवर्तमान लोकसभा सदस्य, सुनील मंडल ने टिकट से वंचित होने के बाद दावा किया कि जिला नेतृत्व के एक वर्ग ने उनके खिलाफ शीर्ष तृणमूल नेतृत्व को गुमराह किया, जिससे उन्हें दोबारा चुनाव लड़ने का मौका नहीं मिला.
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एसएचके/