पीएम ‘किसान सम्मान निधि’ के तहत अब तक किसानों को 3 लाख करोड़ रुपये किए गए आवंटित

नई दिल्ली, 29 फरवरी . मोदी सरकार की प्रमुख योजना ‘प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि’ प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के माध्यम से देशभर के किसान परिवारों को वित्तीय सहायता प्रदान करने में नए मील के पत्थर हासिल कर रही है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को जब पीएम किसान की 16वीं किस्त जारी की, तो किसान परिवारों को अब तक दी गई आर्थिक सहायता की राशि 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गई. 11 करोड़ से अधिक पात्र किसान परिवारों को पीएम किसान योजना का लाभ मिला है. चौंका देने वाली राशि में से लगभग 1.75 लाख करोड़ रुपये अकेले कोविड अवधि के दौरान किसानों को हस्तांतरित किए गए.

कार्यक्रम की एक और बड़ी उपलब्धि पीएम किसान योजना से लगभग 90 लाख नए लाभार्थियों को जोड़ना है. यह मोदी सरकार की विकसित भारत संकल्प यात्रा के दौरान हुआ जब यह स्थानीय लोगों को केंद्रीय कल्याण योजनाओं के बारे में प्रभावित करने के लिए 2.60 लाख ग्राम पंचायतों से होकर गुजरी.

पीएम-किसान, किसानों की संपूर्ण वित्तीय सुरक्षा और कल्याण के लिए मोदी सरकार की यह महत्वाकांक्षी योजना 2 फरवरी 2019 को शुरू की गई थी. इस योजना के तहत पात्र किसान परिवारों को प्रति वर्ष 6000 रुपये की वित्तीय सहायता मिलती है, जो तीन बार प्रदान की जाती है. हर चार महीने में 2000 रुपये की किस्‍त किसानों को प्रदान की जाती है. आधुनिक डिजिटल तकनीक का उपयोग करके डीबीटी मोड के माध्यम से पात्र लाभार्थियों के बैंक खातों में सीधे लाभ हस्तांतरित किया जाता है.

विशेष रूप से अपने संचालन के पिछले पांच वर्षों में इस योजना ने कई मील के पत्थर हासिल किए हैं और अपने व्यापक दृष्टिकोण, पैमाने और सीधे किसानों के खातों में धनराशि के निर्बाध हस्तांतरण के लिए विश्‍व बैंक सहित विभिन्न वैश्विक संगठनों से प्रशंसा प्राप्त की है.

उत्तर प्रदेश के किसानों पर अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (आईएफपीआरआई) के एक हालिया अध्ययन में यह भी पाया गया कि इस योजना में कोई खामी या रिसाव नहीं है. इसमें पाया गया कि अधिकांश किसानों को हस्तांतरित लाभ पूर्ण रूप से प्राप्त हुआ.

इसी अध्ययन में यह भी पाया गया कि पीएम-किसान के तहत नकद हस्तांतरण प्राप्त करने वाले किसानों द्वारा कृषि उपकरण, बीज, उर्वरक और कीटनाशकों की खरीद में निवेश किए जाने की अधिक संभावना है.

एसएचके/एसजीके