तीन नए आपराधिक कानूनों का किया गया स्वागत, अब डिजिटल रिकॉर्ड की भी होगी फॉरेंसिक जांच

पटना, 1 जुलाई . केंद्र सरकार ने तीन आपराधिक कानूनों में संशोधन किया है. पिछली संसद में इसे लेकर तीन विधेयक पारित हुए थे. इसके बाद भारतीय न्याय संहिता, भारतीय न्याय सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1 जुलाई से लागू हो गए हैं.

कानून के जानकार और वकीलों ने अपराध कानून के प्रावधान में संशोधन किए जाने का स्वागत किया है. पटना हाई कोर्ट के वकील नीरज कुमार ने बताया कि, संसद में इस कानून का प्रस्ताव 21 दिसंबर 2023 को दिया गया था. इसे 23 दिसंबर को सरकार ने मंजूरी दे दी थी.

अब आईपीसी (इंडियन पैनल कोड), सीआरपीसी, (कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर) और इंडियन एविडेंस एक्ट को रिप्लेस कर दिया गया है. बीएनएस (भारतीय न्याय संहिता), बीएनएसएस (भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तहत कानून में बदलाव किए गए हैं.

अंग्रेजों के समय से लागू कानूनों को बदलकर एक जुलाई से नए कानून लागू कर दिए गए. इस नए प्रावधान में 20 तरह के अपराध कानून को जोड़ा गया है.

नीरज कुमार ने बताया कि, इस नए कानून के तहत न्याय के लिए समय सीमा भी निर्धारित की गई है. पीड़ित को पहले नहीं पता होता था कोई केस कब तक चलेगा और इस पर फैसला कब आएगा. अब उन्हें केस की समय सीमा मालूम होगी.

साथ ही इस नए कानून के अंतर्गत डिजिटल बदलाव भी किए गए हैं. अब ईमेल, व्हाट्सएप चैट्स वॉइस रिकॉर्डिंग की भी फॉरेंसिक जांच की जाएगी. इससे न्याय प्रक्रिया में मदद मिलेगी.

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