हिमाचल प्रदेश में तीन लाख लोगों को मिलेगा ‘वन अधिकार कानून’ का फायदा, अधिनियम के बारे दी गई जानकारी

कुल्लू, 11 अप्रैल . हिमाचल प्रदेश में अब राजस्व विभाग के द्वारा भूमिहीन एवं आवासहीन लोगों के लिए मालिकाना हक देने की प्रक्रिया शुरू की गई है. इसके तहत साल 2005 से पहले वन भूमि पर कब्जा करने वाले व्यक्तियों के कब्जे को नियमित किया जाएगा. यानी भूमि कब्जे पर लोगों को मालिकाना हक मिलेगा.

इसी क्रम में जिला कुल्लू के ढालपुर स्थित देव सदन में कुल्लू भूमिहीन एवं आवासहीन कल्याण परिषद द्वारा एक कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला में वन अधिकार कानून के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई.

हिमालय नीति अभियान के संयोजक गुमान सिंह ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार ने सभी पंचायतों को वन अधिकार समिति (एफआरसी) का गठन शीघ्र करने के निर्देश दिए हैं. इस समिति के माध्यम से लोगों को वन भूमि पर उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया जा रहा है. साथ ही, वन भूमि पर अवैध कब्जों को नियमित करने की प्रक्रिया से हिमाचल प्रदेश के लाखों लोगों को लाभ मिलने की उम्मीद है.

वहीं, भूमिहीन एवं आवासहीन कल्याण परिषद के अध्यक्ष ओम प्रकाश शर्मा ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में लगभग तीन लाख लोग और जिला कुल्लू में 11 हजार लोग ऐसे हैं, जिनके पास पुराने समय से वन भूमि पर कब्जा है. अब राजस्व मंत्री जगत सिंह के द्वारा इन कब्जों को नियमित करने की दिशा में काम किया जा रहा है और प्रशासन को भी निर्देश दिए जा रहे हैं. इस पहल से उन परिवारों को लाभ होगा, जो वन भूमि पर कब्जा कर अपना रोजगार चला रहे हैं. सरकार ने सभी जिला प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि इस प्रक्रिया को शीघ्र पूरा किया जाए, ताकि लोगों को वन अधिकारों से संबंधित लाभ जल्द मिल सकें.

बता दें कि हाल ही के दिनों में नौणी विश्वविद्यालय सोलन में वन अधिकार अधिनियम विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया था. इसमें राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे थे.

राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा था कि लंबे समय से वन भूमि पर जीवन यापन करने वाले लोगों को भूमि का मालिकाना हक दिया जाएगा. हिमाचल प्रदेश सरकार वन अधिकार अधिनियम को पूरे राज्य में लागू करने जा रही है. कार्यशालाओं के माध्यम से इस कानून के बारे में लोगों को जागरूक किया जा रहा है.

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