New Delhi, 24 जून . बिहार के बहुचर्चित और करीब 1 हजार करोड़ रुपए के सृजन घोटाले में शामिल तीन आरोपियों को Tuesday को Supreme court से बड़ी राहत मिली है. सर्वोच्च अदालत ने रजनी प्रिया और दो अन्य आरोपियों को जमानत दे दी है.
अदालत ने यह निर्णय इस आधार पर लिया कि आरोपी लंबे समय से जेल में बंद हैं और अब तक ट्रायल की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है. कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि तीनों आरोपी सात दिनों के भीतर ट्रायल कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत हों और जमानत की शर्तें वहीं निर्धारित की जाएंगी. अदालत ने अपने फैसले में यह स्पष्ट कर दिया है कि ट्रायल में हो रही देरी के चलते न्यायालय को यह अंतरिम राहत देनी पड़ी है.
सृजन महिला सहयोग समिति नामक एक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) पर आरोप है कि 2004 से 2014 के बीच सरकारी विभागों के खातों से धोखाधड़ी कर बड़ी मात्रा में सरकारी धन को अपने खातों में स्थानांतरित किया गया. यह घोटाला बिहार के भागलपुर जिले के सबौर ब्लॉक स्थित इस एनजीओ से जुड़ा है, जो महिलाओं को व्यावसायिक प्रशिक्षण देने का कार्य करता था.
जानकारी के अनुसार, यह घोटाला जिला प्रशासन के अधिकारियों, बैंक कर्मियों और एनजीओ के सदस्यों की मिलीभगत से अंजाम दिया गया. आरोपी व्यक्तियों ने सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के नाम पर आवंटित धन को हेराफेरी कर निजी खातों में जमा करवाया. Supreme court के आदेश से इन आरोपियों को जमानत मिलने का रास्ता साफ हो गया है, बशर्ते वे ट्रायल कोर्ट की सभी शर्तों का पालन करें.
बता दें कि 10 अगस्त 2013 को सीबीआई ने रजनी प्रिया को गिरफ्तार किया थ. प्रिया 1,000 करोड़ रुपए के सृजन घोटाले के सिलसिले में फरार थीं. उत्तर प्रदेश के साहिबाबाद से उन्हें गिरफ्तार किया गया था. पटना की एक अदालत ने उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था.
बिहार सरकार के अनुरोध पर सीबीआई ने सृजन घोटाला की जांच अपने हाथ में ली थी. आरोप है कि एनजीओ के अधिकारियों ने जाली दस्तावेजों का उपयोग करके उक्त एनजीओ के खातों में सरकारी धन की हेराफेरी करने के लिए बैंक ऑफ बड़ौदा, इंडियन बैंक, बैंक ऑफ इंडिया सहित विभिन्न बैंकों के अधिकारियों के साथ साजिश रची थी.
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पीएसके/एएस