वडोदरा, 6 सितंबर . हाल ही में आई बाढ़ और उसके कारण हुई तबाही से हजारों लोग विस्थापित हो गए हैं. इसे लेकर वडोदरा के श्रमिक संघों ने संयुक्त रूप से गुजरात सरकार से मुआवजे की अपील की है.
यह बाढ़ भारी वर्षा और अजवा रिजर्वायर से विश्वामित्री नदी में पानी छोड़े जाने के कारण आई है. गुजरात के मुख्यमंत्री और श्रम मंत्री के नाम दी गई अपील में जलभराव के कारण श्रमिकों को हुए व्यापक नुकसान पर प्रकाश डाला गया है तथा तत्काल वित्तीय सहायता की मांग की गई है.
भारतीय राष्ट्रीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस (इंटक) के वडोदरा के अध्यक्ष नरेन्द्र रावत के अनुसार, बाढ़ के कारण शहर में कई घर जलमग्न हो गए हैं और श्रमिकों पर विशेष रूप से प्रभाव पड़ा है. घरेलू सामान के नुकसान के अलावा, कई मजदूर बाढ़ के कारण चार-पांच दिन तक काम पर नहीं जा सके और उन्हें आर्थिक नुकसान हुआ.
देश के सबसे बड़े ट्रेड यूनियन संगठनों में से एक आईएनटीयूसी की स्थापना 1947 में मजदूरों के कल्याण को बढ़ावा देने और देश भर के विभिन्न क्षेत्रों में उनके हितों का प्रतिनिधित्व करने के लिए की गई थी. यह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) से संबद्ध है.
जिन मजदूरों के घर बाढ़ में डूब गए, उनके लिए यूनियन जरूरी वस्तुओं के नुकसान की भरपाई के लिए प्रति घर 10 हजार रुपये का न्यूनतम मुआवजा मांग रहा है.
ऐसी बाढ़ को रोकने के लिए ट्रेड यूनियन सरकार से दीर्घकालिक समाधान लागू करने का आग्रह कर रहा है, ताकि वडोदरा के निवासियों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके.
बाढ़ के कारणों की न्यायिक जांच की मांग की गई है, जिसमें मुख्य रूप से विश्वामित्री नदी और स्थानीय जल निकायों के तटबंधों के निर्माण से संबंधित किसी भी अतिक्रमण या भ्रष्टाचार पर ध्यान देने की मांग की गई है. यूनियनों ने आपदा में योगदान देने वाले दोषियों के लिए सख्त सजा की मांग की है.
श्रमिक संघों ने “स्थिति की गंभीरता” पर जोर देते हुए कहा, “कई गरीब श्रमिक अब अपने नुकसान के मुआवजे के बिना विकट परिस्थितियों में रह गए हैं.”
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आरके/एकेजे