बांग्लादेश : ढाका में सड़कों पर उतरे हजारों मजदूर, हाईवे किया जाम, क्या है मामला?

ढाका, 22 मार्च . बांग्लादेश की राजधानी में शनिवार को हजारों मजदूरों ने प्रदर्शन किया और हाईवे जाम कर दिया. उन्होंने कारखाने को दोबारा खोलने, वार्षिक अवकाश, बकाया अवकाश भुगतान और बोनस की मांग की.

मजदूरों ने दो घंटे तक ढाका-मैमनसिंह राजमार्ग को जाम रखा, जिससे यातायात बाधित रहा और स्थानीय लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा.

ढाका संभाग के गाजीपुर जिले में जायंट निट गारमेंट फैक्ट्री के मजदूरों ने सुबह फैक्ट्री बंद होने का नोटिस देखने के बाद विरोध प्रदर्शन शुरू किया.

गाजीपुर औद्योगिक पुलिस उपनिरीक्षक (एसआई) फारुक हुसैन ने बताया कि श्रमिकों ने छुट्टी और बोनस भुगतान को लेकर गुरुवार को विरोध प्रदर्शन किया था.

बांग्लादेश के प्रमुख दैनिक ‘द ढाका ट्रिब्यून’ की रिपोर्ट के अनुसार, इसके जवाब में फैक्ट्री के अधिकारियों ने फैक्ट्री बंद करने का नोटिस जारी कर दिया.

छुट्टी और बोनस के बारे में अधिकारियों से बातचीत करने के कई कोशिशों के बावजूद, श्रमिकों की समस्याओं का समाधान नहीं हो सका.

एक प्रदर्शनकारी कर्मचारी ने ‘डेली स्टार’ से कहा, “हम अपने परिवारों के साथ जीवित रहने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. ईद करीब आ रही है, फिर भी हमारी छुट्टियों के भुगतान और बोनस की कोई गारंटी नहीं है. फैक्ट्री को फिरमनी से खोलना चाहिए और हमारे बकाए का तुरंत भुगतान किया जाना चाहिए.”

इस सप्ताह की शुरुआत में सैकड़ों श्रमिकों ने वेतन न मिलने के मुद्दे पर गाजीपुर के भोगरा बाईपास चौराहे पर ढाका-तंगैल और ढाका-मैमनसिंह हाईवे को जाम कर दिया था. विरोध प्रदर्शन के कारण पहले से ही भीड़भाड़ वाले क्षेत्र में यातायात जाम की स्थिति पैदा हो गई. प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि 300 से अधिक मजदूरों को उनका वेतन नहीं मिला. अधिकारी बिना कोई वैध कारण बताए उनके वेतन में देरी कर रहे हैं.

स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले सप्ताह गाजीपुर के कलियाकोइर में कम से कम 15 कपड़ा कारखानों के मजदूरों ने एक कारखाने के बंद होने और श्रमिकों पर कथित हमले के विरोध में ढाका-तंगैल हाईवे को ब्लॉक कर दिया था.

नवंबर 2024 में जारी अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) की एक रिपोर्ट के अनुसार, श्रीलंका और भूटान के बाद बांग्लादेश में दक्षिण एशियाई देशों में कम वेतन वाले मजदूरों का तीसरा सबसे बड़ा प्रतिशत है.

अर्थशास्त्रियों का कहना है कि इस बढ़ती असमानता ने कम आय वाले और अकुशल श्रमिकों को भोजन की खपत कम करने के लिए मजबूर किया है.

अगस्त 2024 में मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के सत्ता में आने के बाद से ही बकाया भुगतान न मिलने और काम करने की बिगड़ती परिस्थितियों को लेकर पूरे देश में श्रमिकों के विरोध और हड़तालों ने अपनी पकड़ बना ली है.

कई रिपोर्टों से पता चला है कि मजदूरों के लगातार विरोध प्रदर्शन के कारण कई फैक्ट्रियां बंद हो गई हैं, जबकि विरोध मार्च के दौरान कई श्रमिकों की जान भी चली गई या वे गंभीर रूप से घायल हो गए.

एमके/