जो कहते थे कि सोनिया गांधी को जेल में बंद कर दो, अब वही लोग चिल्लाते हैं : पीएम मोदी (आईएएनएस साक्षात्कार)

नई दिल्ली, 27 मई . प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में बिना नाम लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधा.

पीएम मोदी ने कहा कि पहले जो लोग कहते थे कि सोनिया गांधी को जेल में बंद कर दो, फलाने को जेल में बंद कर दो और अब वही लोग चिल्लाते हैं. इसके अलावा उन्होंने भ्रष्टाचार को लेकर जांच एजेंसियों की कार्रवाई पर भी अपनी राय रखी.

भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम तेज करने के के सवाल पर पीएम मोदी ने कहा कि भारत के लोग भ्रष्टाचार से तंग आ चुके हैं. दीमक की तरह भ्रष्टाचार देश की सारी व्यवस्थाओं को खोखला कर रहा है. भ्रष्टाचार के लिए आवाज भी बहुत उठती है. जब मैं 2013-14 में चुनाव के समय भाषण करता था और मैं भ्रष्टाचार की बातें बताता था तो लोग अपना रोष व्यक्त करते थे. लोग चाहते थे कि हां कुछ होना चाहिए. अब हमने आकर सिस्टमैटिकली उन चीजों को करने पर बल दिया कि सिस्टम में ऐसे कौन से दोष हैं, अगर देश पॉलिसी ड्रिवन है, ब्लैक एंड व्हाइट में चीजें उपलब्ध हैं कि भई ये कर सकते हो, ये नहीं कर सकते हो. ये आपकी लिमिट है, इस लिमिट के बाहर जाना है तो आप नहीं कर सकते हो कोई और करेगा, मैंने उस पर बल दिया. ये बात सही है, लेकिन, ग्रे एरिया मिनिमल हो जाता है जब ब्लैक एंड व्हाइट में पॉलिसी होती है और उसके कारण डिस्क्रिमिनेशन के लिए कोई संभावना नहीं होती है, तो हमने एक तो पॉलिसी ड्रिवेन गवर्नेंस पर बल दिया. दूसरा हमने स्कीम्स के सैचुरेशन पर बल दिया कि 100 प्रतिशत जो स्कीम जिसके लिए है, उन लाभार्थियों को 100 प्रतिशत… जब 100% है तो लोगों को पता है मुझे मिलने ही वाला है तो वो करप्शन के लिए कोई जगह ढूंढेगा नहीं. करप्शन करने वाले भी कर नहीं सकते क्योंकि वो कैसे-कैसे कहेंगे, हां हो सकता है कि किसी को जनवरी में मिलने वाला मार्च में मिले या अप्रैल में मिले, ये हो सकता है. लेकिन, उसको पता है कि मिलेगा और मेरे हिसाब से सैचुरेशन, करप्शन फ्री गवर्नेंस की गारंटी देता है. सैचुरेशन सोशल जस्टिस की गारंटी देता है. सैचुरेशन सेकुलरिज्म की गारंटी देता है. ऐसे त्रिविध फायदे वाली हमारी दूसरी स्कीम, तीसरा मेरा प्रयास रहा कि मैक्सिमम टेक्नोलॉजी का उपयोग करना. टेक्नोलॉजी में भी… क्योंकि रिकॉर्ड मेंटेन होते हैं, ट्रांसपेरेंसी रहती है. अब डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर में 38 लाख करोड़ रुपए ट्रांसफर किए हमने. अगर राजीव गांधी के जमाने की बात करें कि एक रुपया जाता है 15 पैसा पहुंचता है, 38 लाख करोड़ तो हो सकता है 25-30 लाख करोड़ रुपया ऐसे ही गबन हो जाते, तो हमने टेक्नोलॉजी का भरपूर उपयोग किया है.

पीएम मोदी ने आगे भ्रष्टाचार को लेकर कहा कि जहां तक करप्शन का सवाल है, देश में पहले क्या आवाज उठती थी कि भई करप्शन तो हुआ, लेकिन, उन्होंने किसी छोटे आदमी को सूली पर चढ़ा दिया. सामान्य रूप से मीडिया में भी चर्चा होती थी कि बड़े-बड़े मगरमच्छ तो छूट जाते हैं, छोटे-छोटे लोगों को पकड़कर आप चीजें निपटा देते हो. फिर एक कालखंड ऐसा आया कि हमें पूछा जाता था 2019 के पहले कि आप तो बड़ी-बड़ी बातें करते थे, क्यों कदम नहीं उठाते हो, क्यों अरेस्ट नहीं करते हो, क्यों लोगों को ये नहीं करते हो. हम कहते थे भई ये हमारा काम नहीं है, ये स्वतंत्र एजेंसी कर रही है और हम बदइरादे से कुछ नहीं करेंगे. जो भी होगा हमारी सूचना यही है जीरो टॉलरेंस दूसरा तथ्यों के आधार पर ये एक्शन होना चाहिए, परसेप्शन के आधार पर नहीं होना चाहिए. तथ्य जुटाने में मेहनत करनी पड़ती है. अफसरों ने मेहनत भी की, अब मगरमच्छ पकड़े जाने लगे हैं तो हमें सवाल पूछा जा रहा है कि मगरमच्छों को क्यों पकड़ते हो. ये समझ में नहीं आता है कि ये कौन सा गैंग है, खान मार्केट गैंग, जो कुछ लोगों को बचाने के लिए इस प्रकार के नैरेटिव गढ़ता है.

उन्होंने कहा कि पहले आप ही कहते थे, छोटों को पकड़ते हो, बड़े छूट जाते हैं. जब सिस्टम ईमानदारी से काम करने लगा, बड़े लोग पकड़े जाने लगे, तब आप चिल्लाने लगे हो. दूसरा पकड़ने का काम एक इंडिपेंडेंट एजेंसी करती है. उसको जेल में रखना कि बाहर रखना, उसके ऊपर केस ठीक है या नहीं है, ये न्यायालय तय करता है, उसमें मोदी का कोई रोल नहीं है, इलेक्टेड बॉडी का कोई रोल नहीं है, लेकिन, आजकल मैं हैरान हूं. दूसरा जो देश के लिए चिंता का विषय है, वो भ्रष्ट लोगों का महिमामंडन है. हमारे देश में कभी भी भ्रष्टाचार में पकड़े गए लोग या किसी को आरोप भी लगा तो लोग 100 कदम दूर रहते थे. आजकल तो भ्रष्ट लोगों को कंधे पर बिठाकर नाचने का फैशन हो गया है. तीसरा प्रॉब्लम है जो लोग कल तक जिन बातों की वकालत करते थे, आज अगर वही चीजें हो रही हैं तो वो उसका विरोध कर रहे हैं. पहले तो वही लोग कहते थे सोनिया जी को जेल में बंद कर दो, फलाने को जेल में बंद कर दो और अब वही लोग चिल्लाते हैं. इसलिए, मैं मानता हूं, जैसे मीडिया का काम है कि लोगों से पूछे कि बताइए छोटे लोग जेल जाने चाहिए या मगरमच्छ जेल जाने चाहिए. पूछो जरा पब्लिक को क्या ओपिनियन है, ओपिनियन बनाइए आप लोग.

एसके/एबीएम