जन्मदिन विशेष: अलवर से केंद्रीय मंत्री बनने तक का ऐसा रहा केंद्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव का सफर

नई दिल्ली, 29 जून . भूपेंद्र यादव भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक प्रमुख और रणनीतिक नेता हैं, जिन्होंने विभिन्न राज्यों के विधानसभा चुनावों में पार्टी प्रभारी के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. उनकी रणनीति और नेतृत्व ने भाजपा को कई राज्यों में न केवल मजबूती प्रदान की, बल्कि सत्ता में वापसी भी सुनिश्चित की. 2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में उनकी प्रभारी भूमिका इसका स्पष्ट उदाहरण है, जहां भाजपा ने शानदार प्रदर्शन किया. इसके अतिरिक्त, 2023 में मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी यादव के नेतृत्व में भाजपा ने सरकार में वापसी की.

साल 2024 में अलवर लोकसभा से संसद सदस्य चुने गए भूपेंद्र यादव का जन्म 30 जून 1969 को अजमेर में हुआ. वह वर्तमान में एनडीए सरकार में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री हैं. उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से की. भाजपा में वे राष्ट्रीय महासचिव रह चुके हैं और पार्टी के लिए कई महत्वपूर्ण चुनावी रणनीतियों में योगदान दिया है, खासकर उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में.

भूपेंद्र यादव को वर्ष 2000 में अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद का महासचिव नियुक्त किया गया और वे वर्ष 2009 तक इस पद पर रहे. वर्ष 2010 में उन्हें भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रीय सचिव नियुक्त किया गया. वर्ष 2014 में उन्होंने भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव का पदभार संभाला. यादव राजस्थान (2013) और झारखंड (2014) के विधानसभा चुनावों में भाजपा के चुनाव सह-प्रभारी और गुजरात के प्रभारी थे. वे 2019 के लोकसभा चुनाव और 2020 के बिहार विधानसभा चुनावों के प्रभारी थे. यादव अलवर लोकसभा क्षेत्र से सांसद हैं और 2012 से राज्यसभा सांसद थे. अप्रैल 2018 में फिर से इस पद के लिए चुने गए. भूपेंद्र यादव ने राजकीय महाविद्यालय, अजमेर से विधि स्नातक की डिग्री प्राप्त की. भूपेंद्र यादव 2021 से 2024 तक श्रम और पर्यावरण मंत्री थे.

भूपेंद्र यादव ‘द राइज ऑफ द बीजेपी’ और ‘सुप्रीम कोर्ट ऑन फॉरेस्ट कंजर्वेशन’ नामक पुस्तकों के लेखक हैं. वे नियमित रूप से विभिन्न समाचार पत्रों और समाचार वेबसाइटों पर महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपने विचार व्यक्त करते हैं. यादव ने अब तक जो भी भूमिकाएं निभाई हैं, उनमें उन्होंने यह साबित कर दिया है कि कड़ी मेहनत, समर्पण और सिद्धांतों पर अडिग रहने से व्यक्ति बहुत आगे तक पहुंच सकता है.

2019 के लोकसभा चुनाव भूपेन्द्र यादव के राजनीतिक करियर में एक विशेष घटना है जो उनके करियर में महत्वपूर्ण रही. इस चुनाव में भाजपा ने उत्तर प्रदेश का प्रभारी नियुक्त किया था, जो भारत का सबसे बड़ा और राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण राज्य है. उत्तर प्रदेश में 80 लोकसभा सीटें हैं, और यहां जीत भाजपा के लिए केंद्र में सरकार बनाने के लिए महत्वपूर्ण थी. यादव ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के साथ मिलकर एक प्रभावी रणनीति तैयार की. उन्होंने स्थानीय नेताओं, कार्यकर्ताओं और संगठन के बीच समन्वय स्थापित किया, साथ ही सामाजिक गठजोड़ (जैसे ओबीसी और दलित समुदायों को एकजुट करना) को मजबूत किया.

उनकी रणनीति में जमीनी स्तर पर प्रचार, मतदाता जागरूकता और विपक्षी दलों (खासकर सपा-बसपा गठबंधन) के खिलाफ प्रभावी जवाबी रणनीति शामिल थी. भाजपा ने उत्तर प्रदेश में 80 में से 62 सीटें जीतीं, जो 2014 के 71 सीटों से थोड़ी कम थी, लेकिन फिर भी यह एक बड़ी जीत थी, क्योंकि सपा-बसपा का गठबंधन एक मजबूत चुनौती पेश कर रहा था. इस जीत ने भाजपा को केंद्र में पूर्ण बहुमत के साथ दूसरी बार सरकार बनाने में मदद की. इसके बाद उनकी भूमिका पार्टी में और मजबूत हुई, आगे उन्हें कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां दी गईं.

डीकेएम/केआर