दमोह में इस बार मुकाबला दिलचस्प, कांग्रेस-भाजपा ने हारे हुए उम्मीदवारों पर लगाया दांव

दमोह, 29 मार्च . मध्य प्रदेश की दमोह लोकसभा सीट पर इस बार मुकाबला दिलचस्प होने वाला है. भाजपा-कांग्रेस ने ऐसे उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा है जो अपना पिछला चुनाव हार चुके हैं.

भाजपा उम्मीदवार राहुल लोधी साल 2021 का उपचुनाव हारे थे, तो वहीं तरवर सिंह लोधी हाल में हुए विधानसभा चुनाव में हारे हैं. राज्य में चार चरणों में लोकसभा चुनाव होंगे.

दमोह संसदीय क्षेत्र में दूसरे चरण में 26 अप्रैल को मतदान होगा. दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों भाजपा और कांग्रेस ने अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर दी है.

भाजपा ने राहुल लोधी को उम्मीदवार बनाया है. वे दमोह विधानसभा से वर्ष 2018 में विधानसभा का चुनाव बतौर कांग्रेस उम्मीदवार लड़े थे और बाद में भाजपा में शामिल हो गए. वर्ष 2021 में उपचुनाव हुआ तो उसमें राहुल लोधी को हार का सामना करना पड़ा.

कांग्रेस ने तरवर सिंह लोधी को उम्मीदवार बनाया है. वह हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में सागर जिले की बंडा विधानसभा सीट से चुनाव हार गए थे.

दमोह संसदीय सीट के इतिहास पर गौर करें तो यहां अब तक 15 लोकसभा के चुनाव हुए हैं. इनमें कांग्रेस को पांच बार जीत मिली है, जबकि 10 बार यहां से भाजपा के उम्मीदवार जीते हैं. यहां से सबसे ज्यादा ‘पांच बार’ भाजपा के उम्मीदवार के तौर पर रामकृष्ण कुसमारिया जीते.

लगभग साढ़े तीन दशक से इस सीट पर भाजपा का कब्जा है. इस दौरान हुए नौ चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार जीते हैं. बीते दो चुनाव में यहां से प्रहलाद पटेल निर्वाचित हुए, लेकिन हाल में हुए विधानसभा चुनाव में वे नरसिंहपुर से निर्वाचित हुए और वर्तमान में मोहन यादव सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं.

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि दमोह सीट पर पिछड़े वर्ग के मतदाताओं की आबादी ज्यादा है. यही वजह है कि यहां भाजपा हो या कांग्रेस दोनों ही दल पिछड़े वर्ग के उम्मीदवार को चुनावी मैदान में उतारते हैं.

भाजपा ने बीते आठ चुनाव में पिछड़े वर्ग के उम्मीदवार को मैदान में उतारा और उसे सफलता मिली. इस बार का चुनाव रोचक रहने वाला है. दोनों ही उम्मीदवार लोधी समाज से हैं. ऐसे में मुस्लिम, जैन और ब्राह्मण मतदाताओं की नतीजों में बड़ी भूमिका रहने वाली है.

एसएनपी/एफजेड