नई दिल्ली, 13 मार्च . इंफोसिस के सह-संस्थापक और आधार आर्किटेक्ट नंदन नीलेकणि के मुताबिक भारत की लैंग्वेज डायवर्सिटी के अनुकूल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) सॉल्यूशन लाए जाने की तत्काल जरूरत है, ताकि एक अरब भारतीयों को एआई-इनेबल्ड डिजिटल इकोनॉमी में लाया जा सके.
उन्होंने आर्कम वेंचर्स के एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि एआई4भारत जैसे ओपन-सोर्स एआई मॉडल भारतीय भाषा डेटासेट बनाने के लिए काम कर रहे हैं, जो कृषि, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा में एआई-ड्रिवन सेवाओं को सशक्त बना सकते हैं.
सरकार ‘ओपन एग्री नेटवर्क’ नाम की एक पहल पर काम कर रही है, जो किसानों को रियल टाइम कृषि से जुड़ी जानकारी देने के लिए एआई का इस्तेमाल करेगी.
उनके अनुसार, एक और बड़ा बदलाव किफायती स्मार्टफोन की पहुंच से आएगा.
नीलेकणि ने सभा को बताया, “यह एक बड़ा अनलॉक है, जहां हम एक अरब भारतीयों तक पहुंचने के लिए टेक्नोलॉजी, डीपीआई और एआई का इस्तेमाल करते हैं.”
नीलेकणि ने घरेलू बाजारों में भारतीय स्टार्टअप की वापसी के बारे में भी बात की. उन्होंने कहा, “यह अधिक आईपीओ और तेजी से विस्तार के लिए एकदम सही सेटअप है.”
बढ़ते भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम पर उन्होंने कहा कि सफल फाउंडर अगली पीढ़ी के उद्यमियों में फिर से निवेश कर रहे हैं.
नीलेकणि ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था 8 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है, लेकिन स्टार्टअप की संख्या 20 प्रतिशत सीएजीआर से बढ़ेगी और अगले दशक में 1 मिलियन के आंकड़े तक पहुंच जाएगी.
इसके अलावा, उन्होंने 10 मिलियन एमएसएमई को टेक्नोलॉजी, मार्केट और क्रेडिट तक बेहतर पहुंच प्रदान करने की जरूरत पर प्रकाश डाला.
पिछले दशक में भारत की तेज टेक्नोलॉजिकल छलांग ‘आधार’ और ‘यूपीआई’ जैसे डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) से जुड़ी थी.
उन्होंने कहा कि 500 मिलियन से अधिक स्मार्टफोन यूजर्स और 530 मिलियन वॉट्सऐप यूजर्स के साथ भारत ने एक अभूतपूर्व डिजिटल आधार बनाया है.
उन्होंने जोर देते हुए कहा, “भारत को एआई को अपनाने के लिए पूरी तरह से आगे बढ़ने की जरूरत है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि इसका लाभ एक अरब लोगों तक पहुंचे. इसके लिए फोकस एरिया भारतीय भाषा तक पहुंच, एमएसएमई, कृषि, स्वास्थ्य और शिक्षा हैं.”
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एसकेटी/केआर