‘यह फायरिंग नहीं, मर्डर है’, संभल हिंसा में जान गंवाने वालों को लेकर बोले ओवैसी

नई दिल्ली, 25 नवंबर . ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने संभल हिंसा में मारे गए तीन युवकों के बारे में कहा कि उन पर “फायरिंग नहीं की गई, बल्कि मर्डर हुआ है”, जिसकी जांच किसी मौजूदा जज से कराई जानी चाहिए.

ओवैसी ने कहा, “सर्वे से पहले मस्जिद के प्रबंधकों को किसी प्रकार की सूचना नहीं दी गई. पुलिस का यह काम था कि वह मस्जिद कमेटी को विश्वास में लेती, लेकिन उन्होंने ऐसा कुछ भी नहीं किया. इसके बाद हिंसा हुई.”

उन्होंने कहा, “जब से बाबरी मस्जिद और राम मंदिर का फैसला आया है, तभी से मैं इस बात पर बल देते हुए कह रहा है कि यह पूरा मामला धीरे-धीरे परत दर परत खुलेगा. आखिर यह आप किस बुनियाद पर कर रहे हैं. आप लोग ऐसा करके अपनी विचारधारा को हम पर थोपने का प्रयास कर रहे हैं. जिस दिन कोर्ट में सुनवाई होती है, उसी दिन ऑर्डर भी आ जाता है और सर्वे भी हो जाता है.”

उन्होंने कहा, “मैं एक बार फिर से इस बात पर बल देते हुए कहना चाहूंगा कि यह फायरिंग नहीं, बल्कि मर्डर है. इसमें जो भी संलिप्त है, उसकी जांच होनी चाहिए और यह जांच मौजूदा जज से होनी चाहिए, ताकि पूरी वस्तुस्थिति स्पष्ट हो सके.”

इस मामले में एफआईआर दर्ज किए जाने पर उन्होंने कहा, “आप जिस पर चाहे एफआईआर दर्ज कर लीजिए. जज आप हैं, ज्यूरी आप हैं, सब कुछ तो आप ही हैं, तो ऐसे में आप जिस पर चाहेंगे, उस पर एफआईआर दर्ज कर सकते हैं.”

वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर बनाई गई संयुक्त संसदीय समिति की समय सीमा बढ़ाए जाने के संबंध में लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को लिखे पत्र पर भी ओवैसी ने टिप्पणी की. उन्होंने कहा, “हम सभी ने मिलकर लोकसभा स्पीकर को पत्र लिखा है. हमें उम्मीद है कि समय सीमा बढ़ाए जाने पर विचार किया जाएगा. कमेटी के सदस्य कई राज्यों में नहीं गए. कमेटी को कई राज्यों में जाकर सभी हितधारकों की बात सुननी चाहिए.”

उन्होंने कहा कि वक्फ संशोधन विधेयक अभी कानून बना भी नहीं है और आप देख सकते हैं कि संभल में क्या हुआ. किसी भी जगह को लेकर यह कह दिया जा रहा है कि यहां सैकड़ों साल पहले मस्जिद नहीं था. यह अनुच्छेद 26 का उल्लंघन है, जिसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता है.

ओवैसी ने कहा कि यह विधेयक कलेक्टर को इतनी शक्ति दे रहा है कि अब कलेक्टर तय करेगा कि कौन -सी संपत्ति वक्फ है, और कौन-सी नहीं.

उन्होंने कहा कि इस विधेयक को लेकर जिस समिति का गठन किया गया है, उसमें आप किसी गैर-मुस्लिम सदस्य को कैसे शामिल कर ले रहे हैं. जब यह मुस्लिम धर्म से संबंधित विधेयक है, तो इसमें किसी गैर-मुस्लिम सदस्य को क्यों शामिल किया गया. उन्होंने कहा, “यह विधेयक वक्फ को बचाने के लिए नहीं, बल्कि उसे खत्म करने के लिए लाया जा रहा है.”

एसएचके/एकेजे